*एडमिन को यह कविता समर्पित करते हुये बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है......
मन में थी मिलने की इच्छा,
तभी तो हम सबको मिलाया है,
आपस में कर सलाह-मशवरा,
एडमिन्स ने यह ग्रुप बनाया है।
लगता था पहले जहाँ अंधेरा,
एक दीपक उसने जलाया है,
हर मैसेज एक किरण होगी,
ऐसा ही प्रकाश जगमगाया है।
जब मिट गई आस मिलन की
तब छलकाई उसने ये प्याली है
संदेशे पढ़कर सभी के होठों पर
छाई खुशहाली की यह लाली है
सच्चे संबंध कहाँ इस जीवन में,
फिर भी हंसकर गले लगाया है,
लाईक और वॉह-वॉह करके ही
इतना बढ़िया सा ग्रुप सजाया है
इतनी सारी मुश्किलों के सामने,
इस कविता को बनाया है,
मन में थी मिलने की इच्छा,
तभी तो एडमिन ने ग्रुप बनाया है*
🌷ग्रुप में विराजमान सभी अनमोल रत्नों को प्रणाम...👏 🌷
🙏🙏🙏🙏🙏 सौजन्य से-
मगसम कार्यालय
लखनऊ
मन में थी मिलने की इच्छा,
तभी तो हम सबको मिलाया है,
आपस में कर सलाह-मशवरा,
एडमिन्स ने यह ग्रुप बनाया है।
लगता था पहले जहाँ अंधेरा,
एक दीपक उसने जलाया है,
हर मैसेज एक किरण होगी,
ऐसा ही प्रकाश जगमगाया है।
जब मिट गई आस मिलन की
तब छलकाई उसने ये प्याली है
संदेशे पढ़कर सभी के होठों पर
छाई खुशहाली की यह लाली है
सच्चे संबंध कहाँ इस जीवन में,
फिर भी हंसकर गले लगाया है,
लाईक और वॉह-वॉह करके ही
इतना बढ़िया सा ग्रुप सजाया है
इतनी सारी मुश्किलों के सामने,
इस कविता को बनाया है,
मन में थी मिलने की इच्छा,
तभी तो एडमिन ने ग्रुप बनाया है*
🌷ग्रुप में विराजमान सभी अनमोल रत्नों को प्रणाम...👏 🌷
🙏🙏🙏🙏🙏 सौजन्य से-
मगसम कार्यालय
लखनऊ
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