सुप्रभात,
एक प्रयास स्वाभाविक हो जाए
दान पानी,दाना पानी,
आजा चिड़िया,हुई सयानी,
तेरी बात है मैंने मानी,
अब कर ले तु अपनी मनमानी,
मेरे आंगन में आशियाना बना लो,
अपनी सखी सहेलियों को बुला लो,
दाने पानी की कमी नही होगी,
तुम मुझ को दिल से आज़मा लो,
तेरा आना जाना शुरू हो गया है,
तेरे आने से ज़िन्दगी का एक मकसद
पूरा हो गया है,
मैं उस दिन के इंतेजार में हूँ,ए चिड़िया,
लगे यह आंगन तेरे लिए स्वाभाविक हो गया है......
अभिनंदन
शेलेन्द्र.....
एक प्रयास स्वाभाविक हो जाए
दान पानी,दाना पानी,
आजा चिड़िया,हुई सयानी,
तेरी बात है मैंने मानी,
अब कर ले तु अपनी मनमानी,
मेरे आंगन में आशियाना बना लो,
अपनी सखी सहेलियों को बुला लो,
दाने पानी की कमी नही होगी,
तुम मुझ को दिल से आज़मा लो,
तेरा आना जाना शुरू हो गया है,
तेरे आने से ज़िन्दगी का एक मकसद
पूरा हो गया है,
मैं उस दिन के इंतेजार में हूँ,ए चिड़िया,
लगे यह आंगन तेरे लिए स्वाभाविक हो गया है......
अभिनंदन
शेलेन्द्र.....
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