आँखे उसकी रही है तर ज़िन्दगी भर
प्यासा रहा उसका समंदर जिंदगी भर
भला किसको थी मेरी खबर ऐ दोस्त
मैं रहा दोस्तों में बेखबर ज़िन्दगी भर
मैं तो तैयार था साथ तेरे चलने को मगर
तुझे मुश्किल लगा ये सफर जिंदगी भर
उसने पहचानने से कर दिया इनकार
जिसे ढूँढता रहा मैं शहर जिंदगी भर
चार दिन की जिंदगी दो दिन मुहब्बत के
जिंदगी में रहेगा अब ये असर जिंदगी भर
तू तो पढ़ ना सका खामोशियाँ उनकी
हमने देखे है आँखों में मंजर जिंदगी भर
मेरे मौला तेरे सिवाय कोई नही मेरा खुदा
झुकेगा मेरा ये सर तेरे दर जिंदगी भर
भला हमें डरा भी कौन सकता है माजिद
जो चले है लेकर साथ लश्कर जिंदगी भर..
~~~~~~~~~~~~~~~~
माज़िद ख़ान ग़ौरी
बीकानेर- राजस्थान
मोबाइल न:-8890563047
प्यासा रहा उसका समंदर जिंदगी भर
भला किसको थी मेरी खबर ऐ दोस्त
मैं रहा दोस्तों में बेखबर ज़िन्दगी भर
मैं तो तैयार था साथ तेरे चलने को मगर
तुझे मुश्किल लगा ये सफर जिंदगी भर
उसने पहचानने से कर दिया इनकार
जिसे ढूँढता रहा मैं शहर जिंदगी भर
चार दिन की जिंदगी दो दिन मुहब्बत के
जिंदगी में रहेगा अब ये असर जिंदगी भर
तू तो पढ़ ना सका खामोशियाँ उनकी
हमने देखे है आँखों में मंजर जिंदगी भर
मेरे मौला तेरे सिवाय कोई नही मेरा खुदा
झुकेगा मेरा ये सर तेरे दर जिंदगी भर
भला हमें डरा भी कौन सकता है माजिद
जो चले है लेकर साथ लश्कर जिंदगी भर..
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माज़िद ख़ान ग़ौरी
बीकानेर- राजस्थान
मोबाइल न:-8890563047
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