आज के चित्र पर मेरी
रचना ...
************
सुन्दर मुखड़े वाली गोरी
पनघट पे लो आई है ,
पनघट की गहराई देखकर
वो ... थोड़ा सा सकुचाई है !
प्यासे होंठों को पानी की
आज बड़ी ही प्यास है ,
गगरी जल की भर देगा
कुयें से बड़ी ये आस है !
जल के बिना जीवन सबका
नीरस और बेकार है ,
प्रकृति की सुन्दरता का
जल ही एक आधार है !
गोरी तुम न फ़िक्र करो
गागर तुम्हारी भर जायेगी ,
तुम्हारी सच्ची ख़ुशी तुमको
आज जरूर मिल जायेगी !
रूप तुम्हारा देखकर
जलचर सारे उत्साहित हैं ,
जल की हर एक बून्द में उनके
प्रेम का रस समाहित है !
रोज रोज जो पनघट पे तुम
ऐसे सज धजकर आओगी ,
न जाने कितने प्राणियों की
तुम और प्यास बढ़ाओगी ...
तुम और प्यास बढ़ाओगी ...!!!
अनुभा मुंजारे " अनुपमा "
रचना ...
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सुन्दर मुखड़े वाली गोरी
पनघट पे लो आई है ,
पनघट की गहराई देखकर
वो ... थोड़ा सा सकुचाई है !
प्यासे होंठों को पानी की
आज बड़ी ही प्यास है ,
गगरी जल की भर देगा
कुयें से बड़ी ये आस है !
जल के बिना जीवन सबका
नीरस और बेकार है ,
प्रकृति की सुन्दरता का
जल ही एक आधार है !
गोरी तुम न फ़िक्र करो
गागर तुम्हारी भर जायेगी ,
तुम्हारी सच्ची ख़ुशी तुमको
आज जरूर मिल जायेगी !
रूप तुम्हारा देखकर
जलचर सारे उत्साहित हैं ,
जल की हर एक बून्द में उनके
प्रेम का रस समाहित है !
रोज रोज जो पनघट पे तुम
ऐसे सज धजकर आओगी ,
न जाने कितने प्राणियों की
तुम और प्यास बढ़ाओगी ...
तुम और प्यास बढ़ाओगी ...!!!
अनुभा मुंजारे " अनुपमा "
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