कुछ कुछ उन्हें अब हम याद आने लगे है
जरा सा ही सही मगर मुझे चाहने लगे है
उसने मोड़ा रुख हवाओं का मेरी और
आँधियों में भी चराग मेरे जलने लगे है
अनजान रहा मैं हर इक शख़्स के बीच में
करम खुदा का है सब मुझको जानने लगे है
जरा महसूस तो करो तुम दर्द उनका भी
अश्क़ आँखों से जिसके बरसने लगे है
साथ उनके चलना अब मुझको गवारा नही
कदम कदम पे वो जो रस्ते बदलने लगे है
अभी शुरू हुआ ये आगाज ऐ इश्क़ ही तो है
धीरे धीरे से दिल में मेरे जो उतरने लगे है
तमन्ना ये है की वो हर कदम मेरे साथ हो
ना जाने क्यों ख़्वाब मेरे बिखरने लगे है
बड़ा गुरुर है उन परिंदे को भी आजकल
अभी अभी आसमाँ में जो उड़ने लगे है
तिनके तिनके से बनाता गया मकाँ अपना
बेटे हुऐ जवाँ तो घर अब उझड़ने लगे है
अब तो करले गुमाँ खुद पे जरा माजिद
नाम से तेरे अब अखबार छपने लगे है.
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माज़िद ख़ान ग़ौरी
बीकानेर- राजस्थान
मोबाइल न:-8890563047
जरा सा ही सही मगर मुझे चाहने लगे है
उसने मोड़ा रुख हवाओं का मेरी और
आँधियों में भी चराग मेरे जलने लगे है
अनजान रहा मैं हर इक शख़्स के बीच में
करम खुदा का है सब मुझको जानने लगे है
जरा महसूस तो करो तुम दर्द उनका भी
अश्क़ आँखों से जिसके बरसने लगे है
साथ उनके चलना अब मुझको गवारा नही
कदम कदम पे वो जो रस्ते बदलने लगे है
अभी शुरू हुआ ये आगाज ऐ इश्क़ ही तो है
धीरे धीरे से दिल में मेरे जो उतरने लगे है
तमन्ना ये है की वो हर कदम मेरे साथ हो
ना जाने क्यों ख़्वाब मेरे बिखरने लगे है
बड़ा गुरुर है उन परिंदे को भी आजकल
अभी अभी आसमाँ में जो उड़ने लगे है
तिनके तिनके से बनाता गया मकाँ अपना
बेटे हुऐ जवाँ तो घर अब उझड़ने लगे है
अब तो करले गुमाँ खुद पे जरा माजिद
नाम से तेरे अब अखबार छपने लगे है.
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माज़िद ख़ान ग़ौरी
बीकानेर- राजस्थान
मोबाइल न:-8890563047
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