सुप्रभात,
सुन ले पुकार
परिंदों का गुँजन शुरू हो गया है,
निद्रा से मेरा मन भंग हो गया है
सुबह बुला रही है,मेरा भी आगमन
हो गया है,
नये दिन के साथ,नये दिवस का उत्सव
शुरू हो गया है,
कितनी उमंग, कितना उल्लास आ रहा है,
हर पल, हर क्षण अपने पास बुला रहा है,
आप की उदासी का रहस्य समाप्त होता जा रहा है,
मन से पूछो, क्या दिल का रुदान उलझा रहा है?
यही हर सुबह की उपवन देन है,
पूछना सभी का कुशल क्षेम है,
खुदा ने फिर से सुहानी सुबह भेजी है,
कहती है कि सभी से करना हमें प्रेम है।
अभिनंदन
शेलेन्द्र।
सुन ले पुकार
परिंदों का गुँजन शुरू हो गया है,
निद्रा से मेरा मन भंग हो गया है
सुबह बुला रही है,मेरा भी आगमन
हो गया है,
नये दिन के साथ,नये दिवस का उत्सव
शुरू हो गया है,
कितनी उमंग, कितना उल्लास आ रहा है,
हर पल, हर क्षण अपने पास बुला रहा है,
आप की उदासी का रहस्य समाप्त होता जा रहा है,
मन से पूछो, क्या दिल का रुदान उलझा रहा है?
यही हर सुबह की उपवन देन है,
पूछना सभी का कुशल क्षेम है,
खुदा ने फिर से सुहानी सुबह भेजी है,
कहती है कि सभी से करना हमें प्रेम है।
अभिनंदन
शेलेन्द्र।
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