बड़ा दुःख होता है जब लोग नवांकुर कवियों का उपहास करते है और अपने दिन भूल जाते है...अरे ये वो बच्चे है जो शस्त्र से शास्त्र की ओर बढ़ रहे है।।
बड़े बड़े कवि क्यू करे,अदनो का उपहास?
मदन यही माने सदा,ईंख नीम से ख़ास।।
ईंख नीम से ख़ास,रहे मोटा या पतला।
रखता मीठा स्वाद,कहू झूठा तो बतला?
कहत मदन कविराय,नेक ये राह है खड़े।
करते ये सम्मान,रखो दिल आप भी बड़े।।
कृतिकार
सनी गुप्ता मदन
9721059895
आंबेडकरनगर
बड़े बड़े कवि क्यू करे,अदनो का उपहास?
मदन यही माने सदा,ईंख नीम से ख़ास।।
ईंख नीम से ख़ास,रहे मोटा या पतला।
रखता मीठा स्वाद,कहू झूठा तो बतला?
कहत मदन कविराय,नेक ये राह है खड़े।
करते ये सम्मान,रखो दिल आप भी बड़े।।
कृतिकार
सनी गुप्ता मदन
9721059895
आंबेडकरनगर
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