शीर्षक:- जीजा की पहली होली
(छन्द रचना :- आल्ह/वीर 16,15)
नए नए जीजा जी पहुँचे,
होली खेलन को ससुराल
मन में अपने भरें उमंगे ,
साली को कर दूँगा लाल
जैसे पहुँचे दरवाजे पर ,
सालों ने घेरा चहुँओर
पाँव पकड़ के जीजा जी को,
नाली में ही दिया खचोर
ठठरी बँध जावे तुम सबकी ,
कहती सासू बाहर आय
लिए बालटी में इक पानी ,
जीजा जी को रहीं धुलाय
साली सलहज निकलीं बाहर,
जीजा जी फिर से मुस्काय
मन में लड्डू फूट रहे हैं ,
साली को लेंगे लिपटाय
तभी गाँव के सब हुड़दंगी ,
आये घर के बाहर द्वार
पाँहुन आये हैं हम सब के,
चलो करें मिल कर सत्कार
एक गदा बुलवाया सबने ,
जीजा जी को दिया बिठाय
झाड़ू बाँध दई माथे पर ,
जयकारा सब रहे लगाय
गाँव भरे में फिरी सवारी ,
करिया मुँह को दूल्हा आय
खूब घले गुलचा जीजा में ,
गली गली देवें ठुसयाय
जैसे तैसे निपट सुरझ के ,
जीजा फिर पहुँचे ससुराल
आईं मुहल्ला की सब सालीं ,
आओ जीजा करें कमाल
वस्त्र हरण जीजा के करके ,
पहनाया इक पेटीकोट
हाय बुरा चक्कर साली का,
जीजा दिल में रहा कचोट
जीजा जी का किया गया फिर ,
नव दुल्हन जैसा श्रंगार
पाँव महावर आँखों कजरा ,
ओंठन लाली दे झंकार
सजा आरती आईं सलहज ,
लुअर् डिठौना दिया लगाय
साले साली सब फिर आये ,
रहे सेल्फ़ी सब खिंचवाय
ऐसी दुर्गत भई जीजा की ,
पहली होली गय ससरार
भूल चूक जो हुई सो,
हमको माफ़ करे करतार
🤓😄😄😄😋
(छन्द रचना :- आल्ह/वीर 16,15)
नए नए जीजा जी पहुँचे,
होली खेलन को ससुराल
मन में अपने भरें उमंगे ,
साली को कर दूँगा लाल
जैसे पहुँचे दरवाजे पर ,
सालों ने घेरा चहुँओर
पाँव पकड़ के जीजा जी को,
नाली में ही दिया खचोर
ठठरी बँध जावे तुम सबकी ,
कहती सासू बाहर आय
लिए बालटी में इक पानी ,
जीजा जी को रहीं धुलाय
साली सलहज निकलीं बाहर,
जीजा जी फिर से मुस्काय
मन में लड्डू फूट रहे हैं ,
साली को लेंगे लिपटाय
तभी गाँव के सब हुड़दंगी ,
आये घर के बाहर द्वार
पाँहुन आये हैं हम सब के,
चलो करें मिल कर सत्कार
एक गदा बुलवाया सबने ,
जीजा जी को दिया बिठाय
झाड़ू बाँध दई माथे पर ,
जयकारा सब रहे लगाय
गाँव भरे में फिरी सवारी ,
करिया मुँह को दूल्हा आय
खूब घले गुलचा जीजा में ,
गली गली देवें ठुसयाय
जैसे तैसे निपट सुरझ के ,
जीजा फिर पहुँचे ससुराल
आईं मुहल्ला की सब सालीं ,
आओ जीजा करें कमाल
वस्त्र हरण जीजा के करके ,
पहनाया इक पेटीकोट
हाय बुरा चक्कर साली का,
जीजा दिल में रहा कचोट
जीजा जी का किया गया फिर ,
नव दुल्हन जैसा श्रंगार
पाँव महावर आँखों कजरा ,
ओंठन लाली दे झंकार
सजा आरती आईं सलहज ,
लुअर् डिठौना दिया लगाय
साले साली सब फिर आये ,
रहे सेल्फ़ी सब खिंचवाय
ऐसी दुर्गत भई जीजा की ,
पहली होली गय ससरार
भूल चूक जो हुई सो,
हमको माफ़ करे करतार
🤓😄😄😄😋
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