हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।

Saturday, 25 March 2017

जीवन की राहें

चलते-चलते: २५ मार्च शनिवार

जीवन की राहें
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जाने कितने लोग मिले हैं, जीवन की इन राहों मे
जाने कितने छूट गए कुछ, समा गए हैं बाहों मे
कहीं किसी ने चाहा मुझको, कहीं किसी से प्यार मिला
कहीं मान को ठेस लगी तो, कहीं कभी दुत्कार मिला
कैसे कैसे फूल खिले थे, राग और अनुरागों मे
नेह स्नेह की ज्योत जली थी, मन के पुण्य चरागों मे
जाने कितने दुख झेले हैं, कैसी पीड़ा पाई है
बड़े जतन से पावन बेला, आज पुन: फिर आई है
जैसे सूरज की आभा के, गीत सुनाए जाते हैं
जैसे चंदा के भी निशदिन, वंदन गाए जाते हैं
जैसे नेह उमड़ता है जब, पर्वत की ऊँचाई से
जैसे प्रीत जगी हो अपनी, सागर की गहराई से
जैसे पुण्य पलों मे सुख के, नूपुर बजने लगते हैं
जैसे प्रीत प्रेम के प्रियवर, सपने सजने लगते हैं
तब फिर कैसे भूल गए हम, गहन अंधेरी रातों को
तब फिर कैसे भूल गए हम, शूल भरी सौगातों को
तब क्यूँ हमको याद नही है, दर्द हमारे सपनों का
तब क्यूँ हमसे बदल गया, व्यवहार हमारे अपनो का
तब क्यूँ भूल गए थे बोलो, टूटे हुए सितारों को
तब क्यूँ भूल गए वीणा के, टूटे से उन तारों को
एक से परिवेश मे ये, चित्त तो रमता नही है
है सनातन सत्य कि ये, वक्त तो थमता नही है

🌹ओम अग्रवाल (बबुआ)
प्रतापगढ़/मुंबई
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