ग़ज़ल
212222222122212
आ गया है होली का तो आज ये त्यौहार फिर ।
हो रही है आसमां से रंगों की बौछार फिर ।।
आज कूचे में मै उसके दोस्तों संग आ गया ।
हो रहा है अपने दिलबर का मुझे दीदार फिर ।।
सब शहर में जा रहे हैं देख लो परिवार संग ।
हो रही है भीड़ भी तो सज रहे बाज़ार फिर ।।
मिल रहा है भाई भाई के गले से देख लो ।
भर गया है सब के दिल में आज देखो प्यार फिर ।।
मिल रहे हैं सब दीवाने दिलरुबा से अब यहाँ ।
हो रहा है आँखों का अब आँखों से तक़रार फिर ।।
दे रहा है मशवरा ये वक़्त मंज़र देखकर ।
नफरतों की अब गिरा दो जो खड़ी दीवार फिर ।।
मिल गया है अब किनारा दिल की कश्ती को यहाँ ।
कौन है जो बन गया है मेरी भी पतवार फिर ।।
आज दोहे और कविता गीत कोई लिख रहा ।
कह रहे हैं अच्छी ग़ज़ले उर्दू के फ़नकार फिर ।।
आ गये हैं वो भी घर पर जो गये परदेश थे ।
ये ख़ुशी का दिन है तन्हा पी रहे हैं यार फिर ।।
जसवीर तन्हा सहारनपुरी
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आ गया है होली का तो आज ये त्यौहार फिर ।
हो रही है आसमां से रंगों की बौछार फिर ।।
आज कूचे में मै उसके दोस्तों संग आ गया ।
हो रहा है अपने दिलबर का मुझे दीदार फिर ।।
सब शहर में जा रहे हैं देख लो परिवार संग ।
हो रही है भीड़ भी तो सज रहे बाज़ार फिर ।।
मिल रहा है भाई भाई के गले से देख लो ।
भर गया है सब के दिल में आज देखो प्यार फिर ।।
मिल रहे हैं सब दीवाने दिलरुबा से अब यहाँ ।
हो रहा है आँखों का अब आँखों से तक़रार फिर ।।
दे रहा है मशवरा ये वक़्त मंज़र देखकर ।
नफरतों की अब गिरा दो जो खड़ी दीवार फिर ।।
मिल गया है अब किनारा दिल की कश्ती को यहाँ ।
कौन है जो बन गया है मेरी भी पतवार फिर ।।
आज दोहे और कविता गीत कोई लिख रहा ।
कह रहे हैं अच्छी ग़ज़ले उर्दू के फ़नकार फिर ।।
आ गये हैं वो भी घर पर जो गये परदेश थे ।
ये ख़ुशी का दिन है तन्हा पी रहे हैं यार फिर ।।
जसवीर तन्हा सहारनपुरी
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