मधुशाला छंद-
कालचक्र कभी नही थकता , युगों युगों की है माला
मधुरिम मिलन लिए हिय तपता,जन्म जन्म से है ज्वाला
अभिशप्त हृदय से असमंजस ,द्वार खडा हूँ अब तेरे
अंतस तृष्णा तृप्त करा दे, अब बरसा दो मधुहाला।।
श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
कालचक्र कभी नही थकता , युगों युगों की है माला
मधुरिम मिलन लिए हिय तपता,जन्म जन्म से है ज्वाला
अभिशप्त हृदय से असमंजस ,द्वार खडा हूँ अब तेरे
अंतस तृष्णा तृप्त करा दे, अब बरसा दो मधुहाला।।
श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
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