🌹विरह गीत🌹
बीता फागुन बढ़ रहा उमस है,
गीत प्रेम का गाना है,
तुम बिन मेरा मन नही लगता,
अब प्रेम भाव बरसाना है ।
हरी-भरी पत्ती डाली पंर,
कुसुम नया खिल आया है,
ठंडक बीती वसंत है आया,
अब गीत प्रेम का गाना है ।
पर हरियाली हुई गायब खेत से,
मन को कैसे हरा बनाऊँ ?
बीता फागुन बढ़ रहा उमस है,
तुम बिन कैसे गीत मैं गाऊँ !
माँ जी भी हैं पुछ रहीं,
कब तक तुम घर आओगे ?
पुत्र-पुत्रियाँ औ देख पापा को,
हर्षित तुम हो जाओगे ।
आस लगाई मैं बैठी हूँ,
तुम आओगे मन हुलसेगा,
प्रेम भरे इस मौसम में,
देख तुम्हें मेरा दिल बरसेगा ।
आओ जल्दी मेरे ओ साजन !
तन-मन की मैं प्यास बुझाऊँ,
बीता फागुन बढ़ रहा उमस है,
गीत प्रेम का अब मैं गाऊँ ।
🙏
बीता फागुन बढ़ रहा उमस है,
गीत प्रेम का गाना है,
तुम बिन मेरा मन नही लगता,
अब प्रेम भाव बरसाना है ।
हरी-भरी पत्ती डाली पंर,
कुसुम नया खिल आया है,
ठंडक बीती वसंत है आया,
अब गीत प्रेम का गाना है ।
पर हरियाली हुई गायब खेत से,
मन को कैसे हरा बनाऊँ ?
बीता फागुन बढ़ रहा उमस है,
तुम बिन कैसे गीत मैं गाऊँ !
माँ जी भी हैं पुछ रहीं,
कब तक तुम घर आओगे ?
पुत्र-पुत्रियाँ औ देख पापा को,
हर्षित तुम हो जाओगे ।
आस लगाई मैं बैठी हूँ,
तुम आओगे मन हुलसेगा,
प्रेम भरे इस मौसम में,
देख तुम्हें मेरा दिल बरसेगा ।
आओ जल्दी मेरे ओ साजन !
तन-मन की मैं प्यास बुझाऊँ,
बीता फागुन बढ़ रहा उमस है,
गीत प्रेम का अब मैं गाऊँ ।
🙏
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