मधुशाला छंद-
अभिमुख कब होंगे हम दोनों, कितने बरसों अब बीतें
मिलन आस की तन्मयता में, श्वासों को कब तक सीतें
कौन महारथी है यहाॅ पर , जो प्रीत वियोग न पाया
हिय मे प्रणय दमन कर सबने, स्मृतियों मे जीवन जीते।।
श्रीमन्नारायणचारी"विराट"
अभिमुख कब होंगे हम दोनों, कितने बरसों अब बीतें
मिलन आस की तन्मयता में, श्वासों को कब तक सीतें
कौन महारथी है यहाॅ पर , जो प्रीत वियोग न पाया
हिय मे प्रणय दमन कर सबने, स्मृतियों मे जीवन जीते।।
श्रीमन्नारायणचारी"विराट"
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