अधूरा-समापन"
ये हमारी, आँख का बहता हुआ जल,
है अधूरे इक समापन की कहानी..।।
दो किनारे बन गये हम इक नदी के,
जो कि लहरों से सदा संवाद करते..
आश की कोई न कश्ती दिख रही थी,
फिर भला क्यूँ व्यर्थ हम अनुनाद करते..
क्या नहीं स्वीकार था ये भी नियति को,
जो समय से संधि कर जल शोख डाला,,
अब किनारों का ज़रा दुर्भाग्य समझो,
देर तक जिनपर कभी ठहरा न पानी..
ये हमारी, आँख का बहता हुआ जल,
है अधूरे इक समापन की कहानी..।।
written by:-
@© इन्द्रपाल सिंह "इन्द्र"
8126992764
ये हमारी, आँख का बहता हुआ जल,
है अधूरे इक समापन की कहानी..।।
दो किनारे बन गये हम इक नदी के,
जो कि लहरों से सदा संवाद करते..
आश की कोई न कश्ती दिख रही थी,
फिर भला क्यूँ व्यर्थ हम अनुनाद करते..
क्या नहीं स्वीकार था ये भी नियति को,
जो समय से संधि कर जल शोख डाला,,
अब किनारों का ज़रा दुर्भाग्य समझो,
देर तक जिनपर कभी ठहरा न पानी..
ये हमारी, आँख का बहता हुआ जल,
है अधूरे इक समापन की कहानी..।।
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@© इन्द्रपाल सिंह "इन्द्र"
8126992764
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