अहले मसनद में अब परवाज जरा दी जाऐ
होश में आने का अंदाज जरा दी जाऐ
आओ ईवान की चौखट से मेरे हम वतनो
बहरे जमहूर को आवाज जरा दी जाऐ
एक ही साज को हर दौर में देखा बजते
इक नये साज की आगाज जरा दी जाऐ
जाने क्यों ताज बना देता है अंधा बहरा
कोई बीनाईऐ सर ताज जरा दी जाऐ
वोट पाने के लिये हद से गुजर जाते हैं
अहले मसनद को चलो लाज जरा दी जाऐ
सोचते सब हैं बगावत है जरूरी लेकिन
चाहता कौन है आगाज जरा दी जाऐ
उन को मंहगाई या गुर्बत नहीं दिखती 'अखतर'
अब उन्हें गुरबते शह बाज जरा दी जाऐ
🖌 मो शकील अख्तर
होश में आने का अंदाज जरा दी जाऐ
आओ ईवान की चौखट से मेरे हम वतनो
बहरे जमहूर को आवाज जरा दी जाऐ
एक ही साज को हर दौर में देखा बजते
इक नये साज की आगाज जरा दी जाऐ
जाने क्यों ताज बना देता है अंधा बहरा
कोई बीनाईऐ सर ताज जरा दी जाऐ
वोट पाने के लिये हद से गुजर जाते हैं
अहले मसनद को चलो लाज जरा दी जाऐ
सोचते सब हैं बगावत है जरूरी लेकिन
चाहता कौन है आगाज जरा दी जाऐ
उन को मंहगाई या गुर्बत नहीं दिखती 'अखतर'
अब उन्हें गुरबते शह बाज जरा दी जाऐ
🖌 मो शकील अख्तर
0 comments:
Post a Comment