गीत/प्रदीपमणि तिवारी/ओजकवि ध्रुव भोपाली
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नाम कुछ है लिया,काम कुछ है किया।
बस लिया ही लिया,नहीं हमें कुछ दिया।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
ढोग जब तक चला,चाल सरपट चला।
लोग लुटते रहे,उनका होता भला।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
धर्म सेवा हो या देश सेवा करें।
वस्तुत:खुद की खातिर सभी ने जिया।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
बात लम्बी करें,जख्म को वो भरें
कहते पीडा हरें,भर के जेबें तरें।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
खुद के मतलब में खुद वो सिमट रह गये।
लोकहित रह गया,बस लिया ही लिया
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
रब को मुँह क्या दिखाएँगे सोचा नहीं
धन वशीभूत हो कुछ भी समझा नहीं।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
वो रहम वाले हैं बेरहम ही रहे।
भूल से भी जख्म नहीं किसी का सिया।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
बस लिया ही लिया नहिं किसी को दिया।
लूट कर भी नहीं कह सके शुक्रिया।
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
मोबाइल-09893677052
-------09589349070
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नाम कुछ है लिया,काम कुछ है किया।
बस लिया ही लिया,नहीं हमें कुछ दिया।
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ढोग जब तक चला,चाल सरपट चला।
लोग लुटते रहे,उनका होता भला।
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धर्म सेवा हो या देश सेवा करें।
वस्तुत:खुद की खातिर सभी ने जिया।
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बात लम्बी करें,जख्म को वो भरें
कहते पीडा हरें,भर के जेबें तरें।
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खुद के मतलब में खुद वो सिमट रह गये।
लोकहित रह गया,बस लिया ही लिया
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रब को मुँह क्या दिखाएँगे सोचा नहीं
धन वशीभूत हो कुछ भी समझा नहीं।
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वो रहम वाले हैं बेरहम ही रहे।
भूल से भी जख्म नहीं किसी का सिया।
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बस लिया ही लिया नहिं किसी को दिया।
लूट कर भी नहीं कह सके शुक्रिया।
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