गीत:-
अपने गीत और गज़लों को मैं तुम्हे समर्पित करता हूँ,
प्रेम भावों से जो पुष्प खिले मैं तुम्हे अर्पित करता हूँ,
तुम मेरे प्यार की कहानी हुई,
कल्पना लोक की तुम रानी हुई,
दिल में बस्ते हैं कितने नगर,
मगर दिल की तुम राजधानी हुई,
तुमने मुझको कुछ दिन प्रेम किया,
इसलिए महसूस गर्वित करता हूँ,
अपने गीत और गजलों को मैं तुम्हे समर्पित करता हूँ।
खुशी न मेरे जीवन में रही,
तुम गई उसे भी लेकर गई,
गम तुम्ही ने मुझसे लिया,
फिर तुम ही गम देकर गई,
गम के सागर को हृदय में रखकर,
मैं जगत को हर्षित करता हूँ,
अपने गीत और गज़लों को मैं तुम्हे समर्पित करता हूँ...
-दीपांशु सिंह
मधुपुर,देवघर,झारखण्ड
अपने गीत और गज़लों को मैं तुम्हे समर्पित करता हूँ,
प्रेम भावों से जो पुष्प खिले मैं तुम्हे अर्पित करता हूँ,
तुम मेरे प्यार की कहानी हुई,
कल्पना लोक की तुम रानी हुई,
दिल में बस्ते हैं कितने नगर,
मगर दिल की तुम राजधानी हुई,
तुमने मुझको कुछ दिन प्रेम किया,
इसलिए महसूस गर्वित करता हूँ,
अपने गीत और गजलों को मैं तुम्हे समर्पित करता हूँ।
खुशी न मेरे जीवन में रही,
तुम गई उसे भी लेकर गई,
गम तुम्ही ने मुझसे लिया,
फिर तुम ही गम देकर गई,
गम के सागर को हृदय में रखकर,
मैं जगत को हर्षित करता हूँ,
अपने गीत और गज़लों को मैं तुम्हे समर्पित करता हूँ...
-दीपांशु सिंह
मधुपुर,देवघर,झारखण्ड
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