मसरूफ़ियत से खुद को अकेला निकालकर
आओ कभी तो वक़्त ज़रा सा निकालकर
क्या थी कमी हमारी मुहब्बत में बेवफ़ा
हमने तो रख दिया था कलेजा निकालकर
मोहन मुन्तज़िर
आओ कभी तो वक़्त ज़रा सा निकालकर
क्या थी कमी हमारी मुहब्बत में बेवफ़ा
हमने तो रख दिया था कलेजा निकालकर
मोहन मुन्तज़िर

very nice sir ji
ReplyDeleteमै समझा वो मोती है वो निकली पानी है
ReplyDeleteक्या बताऊ मेरे यारो अपने दिल की कहानी है
फर्क उसमेऔर मुझमे वस एक ही कॉमन
मेरे जीवन मे काली है उसके मन मे काली है
💓 sir ji
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