हसीन जिन्दगी के ख्वाब सजा आँखों में
डाल फूटी थी एक टूटी हुई शाखों में
तोड़ दीं बेवफ़ाईयों ने बेडियाँ सारी
वरना मैं भी था कैद इश्क की सलाखों में
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग"
9675426080
डाल फूटी थी एक टूटी हुई शाखों में
तोड़ दीं बेवफ़ाईयों ने बेडियाँ सारी
वरना मैं भी था कैद इश्क की सलाखों में
कवि देवेन्द्र प्रताप सिंह "आग"
9675426080
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