हमारे कुछ मित्रों ने ऐसी बातें की तब मुझे चंद पंक्तियाँ याद आती आ रविद्र भैया की
rajeshwar singh
इस्लाम को मिटाने वाले कूद ही मिट गए
हवाएं अपने रुख को यूँ बदलना छोड़ दें कैसे
दीवाना है किसी का दिल धडकना छोड़ दें कैसे
उड़ा कर देश की खिल्ली बहुत काबिल समझते हैं
कुत्ते तो कुत्ते होते हैं भौकना छोड़ दें कैसे
कवि रविन्द्र सोनी
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