मधुशाला छंद-
आज हृदय को मधु पीने की ,तपन क्यों होने लगी है
पास नही हो अगर संगिनी, जलन क्यों होने लगी है
क्या नाता है इतना मोहित, होकर रस को पी डाला
दमन हुए इस घायल हिय में, अगन क्यों होने लगी है।।
श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
आज हृदय को मधु पीने की ,तपन क्यों होने लगी है
पास नही हो अगर संगिनी, जलन क्यों होने लगी है
क्या नाता है इतना मोहित, होकर रस को पी डाला
दमन हुए इस घायल हिय में, अगन क्यों होने लगी है।।
श्रीमन्नारायण चारी"विराट"
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