महिला दिवस की पुर्व संध्या पर विशेष
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नारी और सृष्टि दोनो से मातृत्व सा प्यार करो
दोनो हीं जग की सृजनहार मत तिरस्कार करो
~~
नारी और प्रकृति स येे धरा गगन आह्लादित है
दोनों जीवनदात्री है नारी से जगत सुबासित है
~~
नारी जगपालक पोषक है क्रांति शांति की घोषक है
सहनशीलता में सीता काली चंडी रणघोषक है
~~
नारी को ना अवला समझो जग को आश्रय देती है
प्राण फूंकती कण-कण में प्यारी सी आंचल देती है
~~
नारी को कमजोर ना समझो नारी झांसी की रानी है
राम-कृष्ण जने उर से दुर्गा है मातु भवानी है
~~
मातृशक्ति भी आज समय की बिषज्वाला में झुलसी है
नहीं रही सावित्री सीता नहीं रही अब तुलसी है
~~
ये भी कुकर्म पे उतर गई वैभव से पाप छुपाती है
अजन्मी संतानो को निज कोख में मार गिराती है
~~
पाश्चात्य में डूब गई है मर्यादा भी भूल गई
लज्जा जिनका आभुषण वो अधनंगी हो फुल गई
~~
जो दुत्कार की मुर्त बने वाे सुर्पनखा का रुप ना धर
तुम पार्वती जगदंबा हो अनसुईया का रुप पकड़
~~
आज मनुजता दानवता की राह चली ये ध्यान रहे
तुम भी लाज शर्म के परदे डाल तेरा सम्मान रहे
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उदय शंकर चौधरी नादान
7738559421
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नारी और सृष्टि दोनो से मातृत्व सा प्यार करो
दोनो हीं जग की सृजनहार मत तिरस्कार करो
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नारी और प्रकृति स येे धरा गगन आह्लादित है
दोनों जीवनदात्री है नारी से जगत सुबासित है
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नारी जगपालक पोषक है क्रांति शांति की घोषक है
सहनशीलता में सीता काली चंडी रणघोषक है
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नारी को ना अवला समझो जग को आश्रय देती है
प्राण फूंकती कण-कण में प्यारी सी आंचल देती है
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नारी को कमजोर ना समझो नारी झांसी की रानी है
राम-कृष्ण जने उर से दुर्गा है मातु भवानी है
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मातृशक्ति भी आज समय की बिषज्वाला में झुलसी है
नहीं रही सावित्री सीता नहीं रही अब तुलसी है
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ये भी कुकर्म पे उतर गई वैभव से पाप छुपाती है
अजन्मी संतानो को निज कोख में मार गिराती है
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पाश्चात्य में डूब गई है मर्यादा भी भूल गई
लज्जा जिनका आभुषण वो अधनंगी हो फुल गई
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जो दुत्कार की मुर्त बने वाे सुर्पनखा का रुप ना धर
तुम पार्वती जगदंबा हो अनसुईया का रुप पकड़
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आज मनुजता दानवता की राह चली ये ध्यान रहे
तुम भी लाज शर्म के परदे डाल तेरा सम्मान रहे
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उदय शंकर चौधरी नादान
7738559421
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