रचना - शहीद भगत सिंह
⚔🇮🇳⚔🇮🇳⚔🇮🇳⚔🇮🇳⚔
आजादी को दुल्हन माना
कसम निभाई अपनी ।
तेईस वरस की अल्पायु में
जान गवाई अपनी ।।
पर जाते जाते भी वीर ये बोला
देश के युवको जागो ।
है जवां खून ये देश की खातिर
मत दौलत के पीछे भागो ।।
बसंती चोले पर अपने
अभिमान सदा ही करना ।
देश के दुश्मन कितने भी हो
तुम बिलकुल कभी न डरना ।।
इंक़लाब का परचम लहराये
इतनी सी ही गुजारिश है ।
भारत भूमि माँ समतुल्य है
बस ये सबसे सिफारिश है ।।
इतना कहकर वो वीर चला
फाँसी गले लगाई अपनी ।
आजादी को दुल्हन माना
कसम निभाई अपनी ।
⚔🇮🇳⚔🇮🇳⚔🇮🇳⚔🇮🇳⚔
✍🏻कविराज तरुण
संकलन
कैलाश कासलीवाल
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आजादी को दुल्हन माना
कसम निभाई अपनी ।
तेईस वरस की अल्पायु में
जान गवाई अपनी ।।
पर जाते जाते भी वीर ये बोला
देश के युवको जागो ।
है जवां खून ये देश की खातिर
मत दौलत के पीछे भागो ।।
बसंती चोले पर अपने
अभिमान सदा ही करना ।
देश के दुश्मन कितने भी हो
तुम बिलकुल कभी न डरना ।।
इंक़लाब का परचम लहराये
इतनी सी ही गुजारिश है ।
भारत भूमि माँ समतुल्य है
बस ये सबसे सिफारिश है ।।
इतना कहकर वो वीर चला
फाँसी गले लगाई अपनी ।
आजादी को दुल्हन माना
कसम निभाई अपनी ।
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✍🏻कविराज तरुण
संकलन
कैलाश कासलीवाल
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