खुली आंखो के सपने देखना अब छोड हमने दी
खड़ी नफरत की दिवारे कलम से तोड़ हमने दी
~~
अभी गैरत हमारी है बची बेचा नहीं हूं मैं
मेरा ईमान है मेरा उसे बेचा नहीं हूं मैं
~~
खुली आंखो से अब मैं देखता हूं जमाने को
किसी के सुर्ख चेहरे को किसी के गम छुपाने को
~~
खुली आंखो से अब मैं देखता लोगों की अदाकारी
खुली आंखों से लुटती देख ली लोगों की खुद्दारी
~~
खुली आंखो से अपनी बस्तियां जलते मैं देखा है
खुली आंखों से सुबह में दिन ढलते मैं देखा है
~~
खुली आंखों से देखूं और क्या-क्या रात मैं काली
खुली आंखों से मैं देखूं झुलसती बाग हर डाली
~~
खुली आंखों के देखे श्वप्न पर तुम गौर फरमाओ
जो मैं देखता सपना देखो और दिखलाओ
~~
हमने तो सपने में ये हिन्दुस्तान देखा है
जमीं की दर्द देखी है दबी मुस्कान देखा है
~~
हूं "नादान" मैं शायद यही हम देखे सपने है
दर्द में देश है मेरा दर्द में मेरे अपने हैं
~~
उदय
खड़ी नफरत की दिवारे कलम से तोड़ हमने दी
~~
अभी गैरत हमारी है बची बेचा नहीं हूं मैं
मेरा ईमान है मेरा उसे बेचा नहीं हूं मैं
~~
खुली आंखो से अब मैं देखता हूं जमाने को
किसी के सुर्ख चेहरे को किसी के गम छुपाने को
~~
खुली आंखो से अब मैं देखता लोगों की अदाकारी
खुली आंखों से लुटती देख ली लोगों की खुद्दारी
~~
खुली आंखो से अपनी बस्तियां जलते मैं देखा है
खुली आंखों से सुबह में दिन ढलते मैं देखा है
~~
खुली आंखों से देखूं और क्या-क्या रात मैं काली
खुली आंखों से मैं देखूं झुलसती बाग हर डाली
~~
खुली आंखों के देखे श्वप्न पर तुम गौर फरमाओ
जो मैं देखता सपना देखो और दिखलाओ
~~
हमने तो सपने में ये हिन्दुस्तान देखा है
जमीं की दर्द देखी है दबी मुस्कान देखा है
~~
हूं "नादान" मैं शायद यही हम देखे सपने है
दर्द में देश है मेरा दर्द में मेरे अपने हैं
~~
उदय
0 comments:
Post a Comment