जय मॉ शारदे
विषय--दोस्ती
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त्याग समर्पण अपनापन जो, निज भावो से खो सकता है ा
सब कुछ हो सकता है लेकिन, वो दोस्त नही हो सकता है ाा
1-
जिसके दिल मे भरी निठुरता, लालच नेह समाई हो ,
मौका पाते तोड दोस्ती, वो केवल विष बो सकता है ा
2-
पर उपकार न जाने करना जो केवल निज हित पहिचाने,
सुख मे साथ दोस्ती रक्खे, दुख मे सब वो खो सकता है ा
3-
छोटा-बडा,ऊँच और नीचा, दोस्त जाति बन्धन न माने,
सदियों से जो रही दुश्मनी, मैल दिलो के धो सकता है ा
4-
एक दूजे की पीडा समझे, कृष्ण-सुदामा सा साथी बन,
सूर्यपुत्र हो कर्ण मित्र तो, सारा जीवन खो सकता है ा
5-
अपना स्वार्थ न आडे आये, हर पल सदा दोस्त हित समझे,
त्याग ,समर्पण,दिली भाव ही , सफल दोस्ती हो सकता है ा
BY. R. K. Tiwari
विषय--दोस्ती
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त्याग समर्पण अपनापन जो, निज भावो से खो सकता है ा
सब कुछ हो सकता है लेकिन, वो दोस्त नही हो सकता है ाा
1-
जिसके दिल मे भरी निठुरता, लालच नेह समाई हो ,
मौका पाते तोड दोस्ती, वो केवल विष बो सकता है ा
2-
पर उपकार न जाने करना जो केवल निज हित पहिचाने,
सुख मे साथ दोस्ती रक्खे, दुख मे सब वो खो सकता है ा
3-
छोटा-बडा,ऊँच और नीचा, दोस्त जाति बन्धन न माने,
सदियों से जो रही दुश्मनी, मैल दिलो के धो सकता है ा
4-
एक दूजे की पीडा समझे, कृष्ण-सुदामा सा साथी बन,
सूर्यपुत्र हो कर्ण मित्र तो, सारा जीवन खो सकता है ा
5-
अपना स्वार्थ न आडे आये, हर पल सदा दोस्त हित समझे,
त्याग ,समर्पण,दिली भाव ही , सफल दोस्ती हो सकता है ा
BY. R. K. Tiwari
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