मुझे फिर वही आसार नज़र आते हैं
बदले बदले से सरकार नज़र आते हैं
कहने को बिछा रखे हैं फूल राहो में
मुझे तो बस उनमे खार नज़र आते हैं
मुखोटे रखते हैं लोग चेहरों पर अपने
मुझे वो सभी मक्कार नज़र आते हैं
देखो क्या हो गया है शहर को मेरे
बस हाथों में हथियार नज़र आते हैं
मौका मिला और बहा दिया खून को
कि सभी हर पल तैयार नज़र आते हैं
ये हक़ीक़त है या है फिर ख्वाब कोई
रक़ीबों की शफ में यार नज़र आते हैं
वादा करना फिर उनका मुकर जाना
कभी नेता कभी सियार नज़र आते हैं
शहबाज़
बदले बदले से सरकार नज़र आते हैं
कहने को बिछा रखे हैं फूल राहो में
मुझे तो बस उनमे खार नज़र आते हैं
मुखोटे रखते हैं लोग चेहरों पर अपने
मुझे वो सभी मक्कार नज़र आते हैं
देखो क्या हो गया है शहर को मेरे
बस हाथों में हथियार नज़र आते हैं
मौका मिला और बहा दिया खून को
कि सभी हर पल तैयार नज़र आते हैं
ये हक़ीक़त है या है फिर ख्वाब कोई
रक़ीबों की शफ में यार नज़र आते हैं
वादा करना फिर उनका मुकर जाना
कभी नेता कभी सियार नज़र आते हैं
शहबाज़
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