हरेक ज़ुबान पर ला-हौल है, आमीन भी है।
या यूँ कहो के मुझ पे शक़ भी है यकीन भी है।।
या यूँ कहो के मुझ पे शक़ भी है यकीन भी है।।
पहुँच चुका हूँ क़ायनात के उस मोड़ पर मैं।
वहाँ - जहाँ पर आसमान है, ज़मीन भी है।।
वहाँ - जहाँ पर आसमान है, ज़मीन भी है।।
______"मध्यम"
0 comments:
Post a Comment