जब से मिजाज शायराना हो गया है
तब से शहर सारा दीवाना हो गया है
भले मिलती है वो मेरे हर शेर में मगर
उनसे बिछड़े भी ज़माना हो गया है
गम के अजीजो में शामिल हो गये हम
गम का तो रोज का आना जाना हो गया है
जी भरने पे याद आती हैं बाप की इज़्ज़त
बेवफाओ का ये खानदानी बहाना हो गया है
:-शायर दीपेंद्र मिश्रा 'दीप्त'
तब से शहर सारा दीवाना हो गया है
भले मिलती है वो मेरे हर शेर में मगर
उनसे बिछड़े भी ज़माना हो गया है
गम के अजीजो में शामिल हो गये हम
गम का तो रोज का आना जाना हो गया है
जी भरने पे याद आती हैं बाप की इज़्ज़त
बेवफाओ का ये खानदानी बहाना हो गया है
:-शायर दीपेंद्र मिश्रा 'दीप्त'
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