समझो गरीबों की मजबुरियां भी जरा पोछ आंसु भला तेरा होगा
ना तन पे हैं कपड़े ना खाने को रोटी खिलादे हमें भी भला तेरा होगा
~
मालिक ने हमको बनाया हीं ऐसे हमें बस तुम्हारा हीं आसरा है
हम भी हैं इंसा ये सोचो जरा तुम ऐ दाता सुनो बस तेरा आसरा है
~
दर-दर भटकता हूं मैं जहां में सम्हालों हमें भी भला तेरा होगा
समझो गरीबों की मजबुरियां भी जरा पोछ आंसु भला तेरा होगा
~
मिला जो नसीबा भला या बुरा जो बदल मैं ना सकता जीना पड़ेगा
हाथों की रेखा में है बदनसीबी मिले लाख ठोकर सब सहना पड़ेगा
~
दुआ है हमारी फुलो फलो तुम ना भूलो हमें भी भला तेरा होगा
समझो गरीबों की मजबुरियां भी जरा पोछ अांसु भला तेरा होगा
~
लिखा होगा जब मेरी किस्मत विधाता लिखते समय वो रोया भी होगा
मगर कौन लिखे को है जो मिटावे रब का भी दिल तड़पा हीं होगा
~
मेरी मुफलिसी पे हंसना ना कोई मेरा दर्द बांटो भला तेरा होगा
समझो गरीबों की मजबुरियां भी जरा पोछ आंसु भला तेरा होगा
~
उदय शंकर चौधरी नादान
7738559421
ना तन पे हैं कपड़े ना खाने को रोटी खिलादे हमें भी भला तेरा होगा
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मालिक ने हमको बनाया हीं ऐसे हमें बस तुम्हारा हीं आसरा है
हम भी हैं इंसा ये सोचो जरा तुम ऐ दाता सुनो बस तेरा आसरा है
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दर-दर भटकता हूं मैं जहां में सम्हालों हमें भी भला तेरा होगा
समझो गरीबों की मजबुरियां भी जरा पोछ आंसु भला तेरा होगा
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मिला जो नसीबा भला या बुरा जो बदल मैं ना सकता जीना पड़ेगा
हाथों की रेखा में है बदनसीबी मिले लाख ठोकर सब सहना पड़ेगा
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दुआ है हमारी फुलो फलो तुम ना भूलो हमें भी भला तेरा होगा
समझो गरीबों की मजबुरियां भी जरा पोछ अांसु भला तेरा होगा
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लिखा होगा जब मेरी किस्मत विधाता लिखते समय वो रोया भी होगा
मगर कौन लिखे को है जो मिटावे रब का भी दिल तड़पा हीं होगा
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मेरी मुफलिसी पे हंसना ना कोई मेरा दर्द बांटो भला तेरा होगा
समझो गरीबों की मजबुरियां भी जरा पोछ आंसु भला तेरा होगा
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उदय शंकर चौधरी नादान
7738559421
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