हिंदी साहित्य का आधुनिक काल भारत के इतिहास के बदलते हुए स्वरूप से प्रभावित था। स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीयता की भावना का प्रभाव साहित्य में भी आया। भारत में औद्योगीकरण का प्रारंभ होने लगा था। आवागमन के साधनों का विकास हुआ। अंग्रेजी और पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव बढा और जीवन में बदलाव आने लगा।

Thursday, 2 March 2017

Dr Yasmeen Khan


⁠⁠⁠⁠TODAY⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Ahmad Bhaai⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:33 AM, 3/1/2017] Ahmad Bhaai: ⁠⁠⁠चन्द लाइन पत्रकार के नाम। खबर रोज बनाता हूँ.., कलम और कैमरा से लोगों का हाल बताता हूँ..,, गमगीन हूँ, हालात से लड़ता हूँ.., दोस्त कम और दुश्मन ज्यादा बनाता हूँ.., दो लफ्ज़ लिखकर दुनिया बदलने की कोशिश करता हूँ..,, फिर भी लोगों की नज़र में खटकता हूँ.., शायद कुछ नही हूँ..,, पर चार अक्षर का नाम हैं मेरा.., "पत्रकार" कहलाता हूँ..!! न कलम बिकती हैं न कलमकार बिकता है खबरों के गुलदस्ते से अखबार बिकता है।। क्यो सोंच की तंग गलियों से निकलते नही शराफत के बाजार में हाल चाल बिकता है।। दुनिया ने कभी पलट कर पूछा हो तो बताओ बस कह कर रह जाते हो पत्रकार बिकता है।। कितना जलकर देते हैं दुनिया भर की खबर कलेजे वाला इंसान ही अखबार और टी.वी चैनल में टिकता है।
⁠⁠⁠⁠11:33 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 98601 17645🚯 VIPUL JAIN 🚮⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[11:35 AM, 3/1/2017] +91 98601 17645: ⁠⁠⁠🌹 जय जिनेद्र 🌹 भरोसा तो अपनी,सांसो का भी नही है , और हम इंसानों पर करते है 👈🏽 शायद 👉🏽
⁠⁠⁠⁠11:35 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Ahmad Bhaai⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 98601 17645🚯 VIPUL JAIN 🚮⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠🌹 जय जिनेद्र 🌹 भरोसा तो अपनी,सांसो का भी नही है , और हम इंसानों पर करते है 👈🏽 शायद 👉🏽⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[11:37 AM, 3/1/2017] Ahmad Bhaai: ⁠⁠⁠🙏🏻अ अहमद🌷 🙏🏻वख्त की बेवफाई से कोई अनजान नहीं होता लेकिन उसका इंतज़ार हर नज़र में देखा है🙏🏻
⁠⁠⁠⁠11:37 AM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 99500 05101Khursheed Aalam⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Shayar Sahbaj Bhai⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠खुर्शीद जी साहित्य सेवा मंच में स्वागत है⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[12:10 PM, 3/1/2017] +91 99500 05101: ⁠⁠⁠शुक्रिया जनाब
⁠⁠⁠⁠12:10 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Shayr Bala Prasad⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[12:17 PM, 3/1/2017] Kavi Shayr Bala Prasad: ⁠⁠⁠https://youtu.be/kJxcl1qH69Y देखिए इस वीडियो ने यूट्यूब, व्हटस एप और फेसबुक पर तेजी से लोकप्रियता हासिल की है । लाइक और सब्सक्राइब करें।
⁠⁠⁠⁠12:17 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Aftaab Bhai⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[12:18 PM, 3/1/2017] Aftaab Bhai: ⁠⁠⁠माला की तारीफ़ तो करते हैं सब, क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं.. मैं - तारीफ़ उस धागे की करता हु, जिसने सब को जोड़ रखा है.,,, खास एडमिन के लिये 🙏🏻
⁠⁠⁠⁠12:18 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi P N Pandey⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[12:46 PM, 3/1/2017] Kavi P N Pandey: ⁠⁠⁠*एडमिन को यह कविता समर्पित करते हुये बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है...... मन में थी मिलने की इच्छा, तभी तो हम सबको मिलाया है, आपस में कर सलाह-मशवरा, एडमिन्स ने यह ग्रुप बनाया है। लगता था पहले जहाँ अंधेरा, एक दीपक उसने जलाया है, हर मैसेज एक किरण होगी, ऐसा ही प्रकाश जगमगाया है। जब मिट गई आस मिलन की तब छलकाई उसने ये प्याली है संदेशे पढ़कर सभी के होठों पर छाई खुशहाली की यह लाली है सच्चे संबंध कहाँ इस जीवन में, फिर भी हंसकर गले लगाया है, लाईक और वॉह-वॉह करके ही इतना बढ़िया सा ग्रुप सजाया है इतनी सारी मुश्किलों के सामने, इस कविता को बनाया है, मन में थी मिलने की इच्छा, तभी तो एडमिन ने ग्रुप बनाया है* 🌷ग्रुप में विराजमान सभी अनमोल रत्नों को प्रणाम...👏 🌷 🙏🙏🙏🙏🙏 सौजन्य से- मगसम कार्यालय लखनऊ
⁠⁠⁠⁠12:46 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Shayar Sahbaj Bhai⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi P N Pandey⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠*एडमिन को यह कविता समर्पित करते हुये बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है...... मन में थी मिलने की इच्छा, तभी तो हम सबको मिलाया है, आपस में कर सलाह-मशवरा, एडमिन्स ने यह ग्रुप बनाया है। लगता था पहले जहाँ अंधेरा, एक दीपक उसने जलाया है, हर मैसेज एक किरण होगी, ऐसा ही प्रकाश जगमगाया है। जब मिट गई आस मिलन की तब छलकाई उसने ये प्याली है संदेशे पढ़कर सभी के होठों पर छाई खुशहाली की यह लाली है सच्चे संबंध कहाँ इस जीवन में, फिर भी हंसकर गले लगाया है, लाईक और वॉह-वॉह करके ही इतना बढ़िया सा ग्रुप सजाया है इतनी सारी मुश्किलों के सामने, इस कविता को बनाया है, मन में थी मिलने की इच्छा, तभी तो एडमिन ने ग्रुप बनाया है* 🌷ग्रुप में विराजमान सभी अनमोल रत्नों को प्रणाम...👏 🌷 🙏🙏🙏🙏🙏 सौजन्य से- मगसम कार्यालय लखनऊ⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[12:55 PM, 3/1/2017] Kavi Shayar Sahbaj Bhai: ⁠⁠⁠🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
⁠⁠⁠⁠12:55 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Aftaab Bhai⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi P N Pandey⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠*एडमिन को यह कविता समर्पित करते हुये बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है...... मन में थी मिलने की इच्छा, तभी तो हम सबको मिलाया है, आपस में कर सलाह-मशवरा, एडमिन्स ने यह ग्रुप बनाया है। लगता था पहले जहाँ अंधेरा, एक दीपक उसने जलाया है, हर मैसेज एक किरण होगी, ऐसा ही प्रकाश जगमगाया है। जब मिट गई आस मिलन की तब छलकाई उसने ये प्याली है संदेशे पढ़कर सभी के होठों पर छाई खुशहाली की यह लाली है सच्चे संबंध कहाँ इस जीवन में, फिर भी हंसकर गले लगाया है, लाईक और वॉह-वॉह करके ही इतना बढ़िया सा ग्रुप सजाया है इतनी सारी मुश्किलों के सामने, इस कविता को बनाया है, मन में थी मिलने की इच्छा, तभी तो एडमिन ने ग्रुप बनाया है* 🌷ग्रुप में विराजमान सभी अनमोल रत्नों को प्रणाम...👏 🌷 🙏🙏🙏🙏🙏 सौजन्य से- मगसम कार्यालय लखनऊ⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[2:05 PM, 3/1/2017] Aftaab Bhai: ⁠⁠⁠👌🙏🏽👌🌹👌🌹
⁠⁠⁠⁠2:05 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Vinod Vairagi Veshnav⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:22 PM, 3/1/2017] Kavi Vinod Vairagi Veshnav: ⁠⁠⁠मेरी कविता में दिल की धड़कन सुनाई देगी धड़कन के चलते वो सासे दिखाई देगी । मेरी सासे जो लब पर ही थाम लेता । मेरे मरने का सिर्फ यही एक इनजाम रेता। तुम जरा देखो जो वक्त पर देती हे रोटिया । कोख में हीं वो मार देते हे बेटिया ~ मेरे लब पर वो मोहब्बत के सगम का स्वर हो । नन्ही सी मुनि सी ये बेटिया हर घर घर हो। ~ घर में जो काला धन छुपाकर बेठे जो मुख । देखो हाल गरीब का जो कितना आ रहा दुःख । ~ भीख मांग रहे हे बचपन में और घूम रहे बेरोजगार। गांव गांव में बसे हर किसान कर्जदार । ~ जवान को वो दर्द हे जो उन्ही के हे दिल में क्यों डुबा दिया इस देश को राजनेतिक महफिल में ~ बस्ती बस्ती की संस्कृति या बिगड़ रही हे भारी। घर घर में नफरत की लगा रहे चिनगारी ~ आतंकवादः बस रहे काश्मीर की घाटी में । आतंकवाद मचा रहा हे केशर वाली घाटी में। ~ आजादी के बाद भी क्यों कर दिया अलग राम और रमजान को । क्यों राजनीती ने ढस लिया मेरे हिन्दुस्तान को । ~ मेरी कलम से लिखा हो वो हर एक शब्द कमल बन जाये । इस धरती की माटी के कण कण से वो चन्दन बन जाए ~ विनोद बैरागी वैष्णव शाजापुर म,प्र 7697462007
⁠⁠⁠⁠2:22 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Uday Nadan Dada⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:23 PM, 3/1/2017] Kavi Uday Nadan Dada: ⁠⁠⁠शीशों से बनी इन महलों में अपना भी खुन पसीना है महलों वालों का क्या कहना अपना मुश्किल जीना है हम तो मिहनत मजदुरी कर सो जातें हैं जैसे तैसे वो रहे खुशी से दुआ है ये अपने को आंसु पीना है इन शीशे वाले महलों में पत्थर दिल इंसा का घर है देख जरा तुम एक नजर पतझर का यहां महिना है नादान
⁠⁠⁠⁠2:23 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 88753 22020✍🏻✍🏻कवि-रोहित दाधीच✍🏻✍🏻🙏🏻🙏🏻⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:23 PM, 3/1/2017] +91 88753 22020: ⁠⁠⁠मैं रोहित दाधीच और ये लडका मेरे साथी स्टाफ का छोटा भाई है जो 28-02-2017 को उम्मेदपुरा,जिला झालावाड शादी में गया था जहाँ से लापता हो गया है,इस का नाम अनिल मेहता पुत्र श्री धन्नालाल मेहता है! जिस किसी भी बन्धु को दिखाई दे वह तुरन्त ही निम्न नम्बर पर सूचित करें..... प्रेम मेहता- +91-9636376969 आप सभी छोटा-सा निवेदन इस सन्देश को अधिक से अधिक शेयर करे!! धन्यवाद!!!
⁠⁠⁠⁠2:23 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠2:27 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 93294 76831pathakdinesh016⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠2:36 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠⁠⁠Aftaab Bhai left⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi P N Pandey⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[2:48 PM, 3/1/2017] Kavi P N Pandey: ⁠⁠⁠2 मार्च/जन्म-दिवस स्वाभिमान के सूर्य पंडित सूर्यनारायण व्यास उज्जैन महाकाल की नगरी है। अंग्रेजी साम्राज्य का डंका जब पूरी दुनिया में बजा, तो जी.एम.टी (ग्रीनविच मीन टाइम) को मानक मान लिया गया; पर इससे पूर्व उज्जैन से ही विश्व भर में समय निर्धारित किया जाता था। इसी उज्जैन के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पंडित नारायण व्यास और श्रीमती रेणुदेवी के घर में दो मार्च, 1902 को सूर्यनारायण व्यास का जन्म हुआ। वे ज्योतिष और खगोलशास्त्री के साथ ही लेखक, पत्रकार, स्वाधीनता सेनानी, इतिहासकार, पुरात्ववेत्ता आदि के रूप में भी प्रसिद्ध हुए। जिन महर्षि सांदीपनी के आश्रम में श्रीकृष्ण और बलराम पढ़े थे, यह परिवार उन्हीं का वंशज है।  श्री व्यास ने अपने पिताजी के आश्रम तथा फिर वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। आठ वर्ष की अवस्था से ही उन्होंने लेखन प्रारम्भ कर दिया था। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान 1934 में उन्होंने उज्जैन के जत्थे का नेतृत्व कर अजमेर में गिरफ्तारी दी और 16 मास जेल में रहे।  जेल से आकर जहां एक ओर वे अपने लेखन से जनता को जगाते रहे, तो दूसरी ओर सशस्त्र क्रांति में भी सहयोगी बने। क्रांतिकारियों को उनसे आर्थिक सहायता तथा उनके घर में शरण भी मिलती थी। सुभाष चंद्र बोस के आह्नान पर उन्होंने अजमेर स्थित लार्ड मेयो की मूर्ति तोड़ी और उसका एक हाथ अपने घर ले आये। 1942 में उन्होंने एक गुप्त रेडियो स्टेशन भी चलाया।  प्रख्यात ज्योतिषी होने के कारण देश-विदेश के अधिकांश बड़े नेता तथा धनपति उनसे परामर्श करते रहते थे। स्वाधीनता से पूर्व वे 144 राजघरानों के राज ज्योतिषी थे। चीन से हुए युद्ध के बारे में उनकी बात ठीक निकली। उन्होंने लालबहादुर शास्त्री को भी ताशकंद न जाने को कहा था।  व्यास जी ने फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया, इंग्लैंड, रोम आदि की यात्रा की। हिटलर ने भी उनसे अपने भविष्य के बारे में परामर्श किया था। उन्होंने 1930 में ‘आज’ में प्रकाशित एक लेख में कहा था कि भारत 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र होगा। उन्होंने विवाह भी स्वाधीन होने के बाद 1948 में ही किया।  उज्जैन महाकवि कालिदास की नगरी है; पर वहां उनकी स्मृति में कोई स्मारक या संस्था नहीं थी। अतः उन्होंने ‘अखिल भारतीय कालिदास परिषद’ तथा ‘कालिदास अकादमी’ जैसी संस्थाएं गठित कीं। इनके माध्यम से प्रतिवर्ष ‘अखिल भारतीय कालिदास महोत्सव’ का आयोजन होता है। उनके प्रयास से सोवियत रूस में और फिर 1958 में भारत में कालिदास पर डाक टिकट जारी हुआ। 1956 में कालिदास पर फीचर फिल्म भी उनके प्रयास से ही बनी।  उज्जैन भारत के पराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य की भी राजधानी थी। व्यास जी ने 1942 में ‘विक्रम द्विसहस्राब्दी महोत्सव अभियान’ के अन्तर्गत ‘विक्रम’ नामक पत्र निकाला तथा विक्रम विश्वविद्यालय, विक्रम कीर्ति मंदिर आदि कई संस्थाओं की स्थापना की। इस अवसर पर हिन्दी, मराठी तथा अंग्रेजी में ‘विक्रम स्मृति ग्रंथ’ प्रकाशित हुआ। ‘प्रकाश पिक्चर्स’ ने पृथ्वीराज कपूर तथा रत्नमाला को लेकर विक्रमादित्य पर एक फीचर फिल्म भी बनाई।  व्यास जी हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने हजारों लेख, निबन्ध, व्यंग्य, अनुवाद, यात्रा वृतांत आदि लिखे। 1958 में उन्हें राष्ट्रपति की ओर से ‘पद्मभूषण’ अलंकरण प्रदान किया गया; पर अंग्रेजी को लगातार जारी रखने वाले विधेयक के विरोध में उन्होंने 1967 में इसे लौटा दिया।  सैकड़ों संस्थाओं द्वारा सम्मानित श्री व्यास देश के गौरव थे। उज्जैन की हर गतिविधि में उनकी सक्रिय भूमिका रहती थी। कालिदास तथा विक्रमादित्य के नाम पर बनी संस्थाओं के संचालन के लिए उन्होंने पूर्वजों द्वारा संचित निधि भी खुले हाथ से खर्च की। 22 जून, 1976 को ऐसे विद्वान मनीषी का देहांत हुआ।          सौजन्य से- मगसम कार्यालय लखनऊ
⁠⁠⁠⁠2:48 PM⁠⁠⁠⁠⁠
⁠⁠[3:05 PM, 3/1/2017] Kavi P N Pandey: ⁠⁠⁠गृहणी: एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर इश्वर का नाम लेकर उठी थी । किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया। फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें । कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई। फिर बच्चों को नाश्ता कराया। पति के लिए दोपहर का टिफीन बनाना भी जरूरी था। इस बीच स्कूल का रिक्शा आ गया और वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ने चली गई । वापस आकर पति का टिफीन बनाया और फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये । इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो । उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए। अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना। तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या? अभी लीजिये नाश्ता तैयार है। पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले । उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी । दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी । इस बीच सफाई वाली भी आ गयी । उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी । अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी । दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे । उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही । ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे । उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे । उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी । खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे । बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये । उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया । इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे । उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी । खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये । इस वक़्त तीन बज रहे थे । अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था । उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी । उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो । उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी । अब तक चार बज चुके थे । अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो । उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं । इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी । अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो । वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं । पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये । पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो। सभी गृहणियों को सादर समर्पित..🙏🏼 1832/म ग स म
⁠⁠⁠⁠3:05 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Mahendra Jain Sir⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[3:17 PM, 3/1/2017] Kavi Mahendra Jain Sir: ⁠⁠⁠ख्वाबों मे एक ख्वाब हसीन आया वो धीमी आहट से मेरे करीब आया प्यार से उसने अपने पास बैठाया पूछा जो हाले दिल मैने बंयां किया तडपता हुँ तेरी याद मे तु तन्हां कर गया जीने को जी रहा रहा हुँ मैं उदासी से घिर गया आजा फिर एक बार जिन्दगी में तु लिख देंगे हम प्यार का इतिहास फिर नया महेन्द्र साहिल भोपाल
⁠⁠⁠⁠3:17 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠+91 98601 17645🚯 VIPUL JAIN 🚮⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[3:21 PM, 3/1/2017] +91 98601 17645: ⁠⁠⁠एक बेहतरीन जिंदगी जीने के लिए यह स्वीकार करना भी जरुरी है कि सब कुछ सबको नहीं मिल सकता....! -शायद-
⁠⁠⁠⁠3:21 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠Kavi Dheeraj Kumar Patvashya⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[3:23 PM, 3/1/2017] Kavi Dheeraj Kumar Patvashya: ⁠⁠⁠एडमिन महोदय कृप्या इन कवियों को ग्रुप में जोड़ने की कृपा करें विनोद शर्मा(आजाद परिंदा) (राजगढ़,गिंदोरहाट,म.प्र.) whatsapp no.-9755615566 राहुल भिलाला (राजगढ़,जीरापुर,म.प्र.) whatsapp no.-9993787017 🙏🙏🙏
⁠⁠⁠⁠3:23 PM⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠⁠⁠KAVI Dr Yasmeen Khan⁠⁠⁠⁠⁠

⁠⁠[3:26 PM, 3/1/2017] KAVI Dr Yasmeen Khan: ⁠⁠⁠मन की चुभन' चुभन तो किसी भी तरह की हो नुकसानदायक है, मन की चुभन तो सबसे ज़्यादा दर्द देने वाली ख़तरनाक होती है। कभी -कभी मन में चुभती है... आँख में किरकने वाले तिनके की तरह, कभी-कभी मन में मीठा-मीठा दर्द करती है चुभी फांस को कुरेदने की तरह, कभी कभी ज़ेहन,दिल,दिमाग़ में मचलती ही रहती है किसी खुजली की तरह जितना सहलाओ, बहलाओ उतनी ही हथधर्मी दिखाती है। पलों, मिनटों, घण्टों तक ख़ुद में बन्दे को जकड़े रखती है। जब इससे दूर रहने की ख़ातिर कोई क़वायद की करते हैं और भी पैर पटकने लगती है.. किसी बिगड़े,ज़िद्दी बच्चे , किसी बिफरती चुटियाली नागिन की तरह, जिस्म तो इस मन की चुभन में लकवा पड़ा बुत बन जाता है जैसे ही सम्वेदना कम होने लगती है मन को खुट्टल उस्तरे से नन्हें टुकड़ों में कतरने लगती है चुभन। डॉ.यासमीन ख़ान 02-03-2017
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