तहजीब की दौलत को बिखरने नही देना।
इज्जत के दुपट्टे को उतरने नही देना।।
1
नारी की अस्मिता को बचाने का वक्त है
दुष्कर्मियों को धूल चटाने का वक्त है
दिल्ली की दामनी की तरह देश में कभी
बहनों को, बेटियों को तड़पने नहीं देना ।।
काटों के बीच जिंदगी के फूल खिला कर ।
दुःख दर्द आंसुओं को हवाओं उड़ाकर ।।
यमराज भी हो सामने तो वक्त से पहले ।
अपने करीब उसको ठहरने नही देना।।
3
अब देश द्रोहियों को पनाहें न दीजिए।
इंसानियत को दर्द कराहें न दीजिए।।
जो सर न झुकाती हों तिरंगे के सामने
उन गर्दनों को फिर से पनपने नही देना।।
4
भारत की आन-बान हमें जान से प्यारी
हिंदी भी हमारी है तो उर्दू भी हमारी
जो बीज भेद भाव के बोते है हर घड़ी
उनको वतन की छाँव में पलने नही देना।।
हिन्दू हमीं हैं,सिक्ख-मुसलमान हमीं है ।
नानक मसीह राम या रहमान हमीं है।।
हम एक थे हम एक है हम एक रहेंगे।
फिर एकता के बाग़ उजड़ने नही देना।।
होठों पे सदा सत्य-अहिंसा की तान हो।
गीता अगर ज़ुबान में, दिल में कुरान हो ।।
वादा करो"लता" कि शाहीदों के रक्त से ।
जलती हुई मशाल को बुझने नही देना ।।
तहजीब की दौलत को बिखरने नही देना।।
इज्जत के दुपट्टे को उतरने नही देना।।
मंजुलता जैन
इज्जत के दुपट्टे को उतरने नही देना।।
1
नारी की अस्मिता को बचाने का वक्त है
दुष्कर्मियों को धूल चटाने का वक्त है
दिल्ली की दामनी की तरह देश में कभी
बहनों को, बेटियों को तड़पने नहीं देना ।।
काटों के बीच जिंदगी के फूल खिला कर ।
दुःख दर्द आंसुओं को हवाओं उड़ाकर ।।
यमराज भी हो सामने तो वक्त से पहले ।
अपने करीब उसको ठहरने नही देना।।
3
अब देश द्रोहियों को पनाहें न दीजिए।
इंसानियत को दर्द कराहें न दीजिए।।
जो सर न झुकाती हों तिरंगे के सामने
उन गर्दनों को फिर से पनपने नही देना।।
4
भारत की आन-बान हमें जान से प्यारी
हिंदी भी हमारी है तो उर्दू भी हमारी
जो बीज भेद भाव के बोते है हर घड़ी
उनको वतन की छाँव में पलने नही देना।।
हिन्दू हमीं हैं,सिक्ख-मुसलमान हमीं है ।
नानक मसीह राम या रहमान हमीं है।।
हम एक थे हम एक है हम एक रहेंगे।
फिर एकता के बाग़ उजड़ने नही देना।।
होठों पे सदा सत्य-अहिंसा की तान हो।
गीता अगर ज़ुबान में, दिल में कुरान हो ।।
वादा करो"लता" कि शाहीदों के रक्त से ।
जलती हुई मशाल को बुझने नही देना ।।
तहजीब की दौलत को बिखरने नही देना।।
इज्जत के दुपट्टे को उतरने नही देना।।
मंजुलता जैन
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