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आ सवारें देश की तस्वीर को ।
दे तसल्ली मुझ दिले दिलगीर को ।।
है हमारा ही सदा से अंग वो।
छीन लेगा कौन यूं कश्मीर को ।।
कत्ल करती है जुबां ही इस कदर ।
म्यान में रखना सदा शमशीर को ।।
बेवफाई जख्म से जादा रिसी ।
है खुदा हाजिर यहाँ तहरीर को ।।
खुद ब खुद हम हो गये हैं आपके ।
अब समझ लो प्यार मेरी पीर को ।।
रोज़ने - उम्मीद आया सामने ।
क्यूं भुला बैठे भला तकदीर को ।।
काल में कल ,क्या मिलेगा कल यहाँ।
आज तुम बांधों न यूँ जंजीर को ।।
ढूँढता है आज भी गमगीन हो ।
रांझड़ा बन मेघ अपनी हीर को ।।
नफरतों की आग सी है जिन्दगी ।
खुश 'अधर' हैं, पी नयन के नीर को ।।
शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'
आ सवारें देश की तस्वीर को ।
दे तसल्ली मुझ दिले दिलगीर को ।।
है हमारा ही सदा से अंग वो।
छीन लेगा कौन यूं कश्मीर को ।।
कत्ल करती है जुबां ही इस कदर ।
म्यान में रखना सदा शमशीर को ।।
बेवफाई जख्म से जादा रिसी ।
है खुदा हाजिर यहाँ तहरीर को ।।
खुद ब खुद हम हो गये हैं आपके ।
अब समझ लो प्यार मेरी पीर को ।।
रोज़ने - उम्मीद आया सामने ।
क्यूं भुला बैठे भला तकदीर को ।।
काल में कल ,क्या मिलेगा कल यहाँ।
आज तुम बांधों न यूँ जंजीर को ।।
ढूँढता है आज भी गमगीन हो ।
रांझड़ा बन मेघ अपनी हीर को ।।
नफरतों की आग सी है जिन्दगी ।
खुश 'अधर' हैं, पी नयन के नीर को ।।
शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'
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