सबकी आँखों में प्यारा-सा सपना एक सलोना हो,
आंसू उनमें हो बेशक पर खुशियों का ही रोना हो,
जी लो खुलकर इस जीवन को प्रीत डोर के बन्धन में,
आदमी फिर न जाने कब भाग्य के हाथों खिलौना हो।
✍🏻 नरेंद्रपाल जैन।
आंसू उनमें हो बेशक पर खुशियों का ही रोना हो,
जी लो खुलकर इस जीवन को प्रीत डोर के बन्धन में,
आदमी फिर न जाने कब भाग्य के हाथों खिलौना हो।
✍🏻 नरेंद्रपाल जैन।
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