टूटे हुए शब्दों को, अक्सर जोड़ देता हूँ,
गीत या ग़ज़ल, अच्छा सा रूप देता हूँ।
कागज़ पर बिखर जाएँ शब्द इधर-उधर,
उठाकर-सजाकर, हायकु बना देता हूँ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
गीत या ग़ज़ल, अच्छा सा रूप देता हूँ।
कागज़ पर बिखर जाएँ शब्द इधर-उधर,
उठाकर-सजाकर, हायकु बना देता हूँ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
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