मन मिरा बावरा हो गया,
देखिये प्यार सा हो गया।
आज खुद ही खड़ा हो गया,
यूँ लगा हक़ अदा हो गया
वो सताता रहा हर दफ़ा,
नाम का बेवफ़ा हो गया।
हम चले हाथ में हाथ ले
यूँ सफ़र आशना हो गया।
क्यों कभी कब कहाँ कौन है,
आदमी जब खुदा हो गया।
बस मुहब्बत किया कीजिये,
दौर नफ़रत भरा हो गया
आज शेखर चला छोड़कर,
हर करम से जुदा हो गया
दीपशेखर
देखिये प्यार सा हो गया।
आज खुद ही खड़ा हो गया,
यूँ लगा हक़ अदा हो गया
वो सताता रहा हर दफ़ा,
नाम का बेवफ़ा हो गया।
हम चले हाथ में हाथ ले
यूँ सफ़र आशना हो गया।
क्यों कभी कब कहाँ कौन है,
आदमी जब खुदा हो गया।
बस मुहब्बत किया कीजिये,
दौर नफ़रत भरा हो गया
आज शेखर चला छोड़कर,
हर करम से जुदा हो गया
दीपशेखर
0 comments:
Post a Comment