ग़ज़ल
उन्हे हें गुरूर किस बात पर
हम हें मज़बूर किस बात पर
जख्म तो मिट गये थे दोस्त
अब ताजे नासूर किस बात पर
मुझसे कौन शख्स था रुसवा
चला गया दूर किस बात पर
जिस्म ए जहाँ सबका एक जेसा
फ़िर वो मगरूर किस बात पर
न तोडो हम बच्चों के दिलो को
तुम्हारा दिल चकनाचूर किस बात पर
✍✍✍✍✍✍✍✍✍
त्रुटियाँ बताने का कष्ट करें
आपका - प्रशांत मज़बूर
उन्हे हें गुरूर किस बात पर
हम हें मज़बूर किस बात पर
जख्म तो मिट गये थे दोस्त
अब ताजे नासूर किस बात पर
मुझसे कौन शख्स था रुसवा
चला गया दूर किस बात पर
जिस्म ए जहाँ सबका एक जेसा
फ़िर वो मगरूर किस बात पर
न तोडो हम बच्चों के दिलो को
तुम्हारा दिल चकनाचूर किस बात पर
✍✍✍✍✍✍✍✍✍
त्रुटियाँ बताने का कष्ट करें
आपका - प्रशांत मज़बूर
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