अकेले में सदा मिलने का वो फ़रमान देते हैं,
चुराई जब नज़र उनसे मुहब्बत मान लेते हैं,
किनारा कर गया जालिम हमारी ज़िंदगी से अब,
करें क्या ज़िंदगी भर हम जुदा ही मान लेते हैं,
बिछड़ कर हम मुहब्बत से बता जालिम जिएं कैसे,
कफस है ज़िस्म ये अब तो, ख़ुदा हम मान लेते हैं,
छुपाता है ज़माने से दिले नादां मुहब्बत को,
ख़बर फैली हवाओं से , सभी पहचान लेते हैं,
नशीली आंख का जादू हमें मदहोश कर जाए,
फ़कत इक पल का मंज़र था उमर भर मान लेते हैं,
पढ़ा करती हैं नज़रों की इबारत सब मेरी आंखें,
झुकी पलकों की चाहत को मुहब्बत मान लेते हैं,
"मनोरम"मुस्कुराहट से भरम पाले मुहब्बत का,
कशिश से भर तड़पता दिल वो क्यों कर जान लेंते हैं,
🖍 मनोरमा श्रीवास्तव
चुराई जब नज़र उनसे मुहब्बत मान लेते हैं,
किनारा कर गया जालिम हमारी ज़िंदगी से अब,
करें क्या ज़िंदगी भर हम जुदा ही मान लेते हैं,
बिछड़ कर हम मुहब्बत से बता जालिम जिएं कैसे,
कफस है ज़िस्म ये अब तो, ख़ुदा हम मान लेते हैं,
छुपाता है ज़माने से दिले नादां मुहब्बत को,
ख़बर फैली हवाओं से , सभी पहचान लेते हैं,
नशीली आंख का जादू हमें मदहोश कर जाए,
फ़कत इक पल का मंज़र था उमर भर मान लेते हैं,
पढ़ा करती हैं नज़रों की इबारत सब मेरी आंखें,
झुकी पलकों की चाहत को मुहब्बत मान लेते हैं,
"मनोरम"मुस्कुराहट से भरम पाले मुहब्बत का,
कशिश से भर तड़पता दिल वो क्यों कर जान लेंते हैं,
🖍 मनोरमा श्रीवास्तव
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