मुक्तक_____
क्या पता इनका ये क्या क्या काम कर दें
ये अगर चाहें सुबह को शाम कर दें
ओढ कर खादी चादर ये दरिंदे
जब भी चाहें देश को नीलाम कर दें
___ कवि पवन शंखधार बदायूँ
क्या पता इनका ये क्या क्या काम कर दें
ये अगर चाहें सुबह को शाम कर दें
ओढ कर खादी चादर ये दरिंदे
जब भी चाहें देश को नीलाम कर दें
___ कवि पवन शंखधार बदायूँ
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