मेघ मल्हार का कोई नहीं मैं राग लिखता हूं
दिलों में है लगी जो आग वो आग लिखता हूं
~
नहीं लिखता हूं इस खातिर कि मेरा नाम हो जाए
दबे कुचले कि मैं केवल आवाज लिखता हूं
~
लिखने को तो लिख सकता मुहब्बत के तराने भी
नहीं श्रृंगार मैं लिखता इंक्लाब लिखता हूं
~
जहां जन्मा जहां खेला वहां की बात लिखता हूं
जमीं का दर्द लिखता हूं दबी जज्वात लिखता हूं
~
मचलता है जो मेरा दिल किसी का प्यार पाने को
जमीं की ओर दिखता हूं जमीं का प्यार लिखता हूं
~
अगर गुमनाम हूं तो क्या हुआ बदनाम भी ना हूं
तभी खुलकर मैं लिखता हूं सही हर बात लिखता हूं
~
अभी "नादान" हूं ये आप भी तो जानते हीं है
अधूरा ज्ञान है मेरा तभी तो साफ लिखता हूं
~
मां के पेट में जो हो रहे हैं दफ्न जो माएं
अजन्मीं मासुमों की मैं दुखी फरीयाद लिखता हूं
~
दहेजों की चिताओं पे जो बहूऐं आज सोती है
जलाकर खाक कर देते वो काली रात लिखता हूं
~
किसानों का पसीना और उनके बुझे चेहरे
जवानों के लहू से हिन्द ये आवाद लिखता हूं
~
उदय शंकर चौधरी नादान
7738559421
दिलों में है लगी जो आग वो आग लिखता हूं
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नहीं लिखता हूं इस खातिर कि मेरा नाम हो जाए
दबे कुचले कि मैं केवल आवाज लिखता हूं
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लिखने को तो लिख सकता मुहब्बत के तराने भी
नहीं श्रृंगार मैं लिखता इंक्लाब लिखता हूं
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जहां जन्मा जहां खेला वहां की बात लिखता हूं
जमीं का दर्द लिखता हूं दबी जज्वात लिखता हूं
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मचलता है जो मेरा दिल किसी का प्यार पाने को
जमीं की ओर दिखता हूं जमीं का प्यार लिखता हूं
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अगर गुमनाम हूं तो क्या हुआ बदनाम भी ना हूं
तभी खुलकर मैं लिखता हूं सही हर बात लिखता हूं
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अभी "नादान" हूं ये आप भी तो जानते हीं है
अधूरा ज्ञान है मेरा तभी तो साफ लिखता हूं
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मां के पेट में जो हो रहे हैं दफ्न जो माएं
अजन्मीं मासुमों की मैं दुखी फरीयाद लिखता हूं
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दहेजों की चिताओं पे जो बहूऐं आज सोती है
जलाकर खाक कर देते वो काली रात लिखता हूं
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किसानों का पसीना और उनके बुझे चेहरे
जवानों के लहू से हिन्द ये आवाद लिखता हूं
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उदय शंकर चौधरी नादान
7738559421
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