चाँद तारों को अज़ल से रोशनी देता है कौन.
रंग, ख़ुशबू भर के गुल को ताज़गी देता है कौन..
सैकड़ों नदियों को पी कर प्यास बुझती ही नहीं.
तेरे लब पर यूँ समुन्दर तिश्नगी देता है कौन..
कहकशां के जिस्म पर हैं किसके क़दमों के निशां .
धूप दिन को और शब को तीरगी देता है कौन ..
जिस्म की सूरत बदल जाती हैं बूँदें आब की .
ज़र्रे ज़र्रे में निहां जादूगरी देता है कौन ..
ख़ाक होने का उन्हें मिलता है कैसे हौसला .
जल के मरने पर पतंगों को खुशी देता है कौन ..
कौन देता है अज़ाबों में भी हँसने का हुनर .
नेमतें दे कर भी दिल में बेकली देता है कौन ..
बोझ ढोती है गुनाहों का ज़मीं ये किस तरह .
ज़ह्र पी कर भी शजर को ख़ामुशी देता है कौन ..
दर्दे दिल को नाज़ से पाला है मैंने दोस्तो .
लोग कहते हैं "नज़र" को शाइरी देता है कौन ..
Nazar Dwivedi
रंग, ख़ुशबू भर के गुल को ताज़गी देता है कौन..
सैकड़ों नदियों को पी कर प्यास बुझती ही नहीं.
तेरे लब पर यूँ समुन्दर तिश्नगी देता है कौन..
कहकशां के जिस्म पर हैं किसके क़दमों के निशां .
धूप दिन को और शब को तीरगी देता है कौन ..
जिस्म की सूरत बदल जाती हैं बूँदें आब की .
ज़र्रे ज़र्रे में निहां जादूगरी देता है कौन ..
ख़ाक होने का उन्हें मिलता है कैसे हौसला .
जल के मरने पर पतंगों को खुशी देता है कौन ..
कौन देता है अज़ाबों में भी हँसने का हुनर .
नेमतें दे कर भी दिल में बेकली देता है कौन ..
बोझ ढोती है गुनाहों का ज़मीं ये किस तरह .
ज़ह्र पी कर भी शजर को ख़ामुशी देता है कौन ..
दर्दे दिल को नाज़ से पाला है मैंने दोस्तो .
लोग कहते हैं "नज़र" को शाइरी देता है कौन ..
Nazar Dwivedi
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