एकांत में
चलों किसी एकांत में ,
एसा लिख दिया जाय !
पढ़नें वाला आँख से ,
आसूँ भर टपकाय !
अच्छें को बुरा समझ ,
लांछन फिर न लगाय !
जीतें जी इन्सान की ,
मय्यत फिर न उठाय !
लिखनें वाला लिख गया ,
पढ़ के क्यों पछताय ?
"मनु" जनम मे ज्ञान हों ,
लिखा अमर हो जाय !
📜✍📜✍📜✍📜
महेंन्द्र " मनु" जैन
९८२७६१०५००
इन्दौर
चलों किसी एकांत में ,
एसा लिख दिया जाय !
पढ़नें वाला आँख से ,
आसूँ भर टपकाय !
अच्छें को बुरा समझ ,
लांछन फिर न लगाय !
जीतें जी इन्सान की ,
मय्यत फिर न उठाय !
लिखनें वाला लिख गया ,
पढ़ के क्यों पछताय ?
"मनु" जनम मे ज्ञान हों ,
लिखा अमर हो जाय !
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महेंन्द्र " मनु" जैन
९८२७६१०५००
इन्दौर
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