कभी कभार तो ये हादसे भी होते हैं,
के हम भी साथ मे बच्चो के खूब रोते हैं.
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जिन्हें ख़ुदा ने दिया है वो जागते है बहुत,
जिन्हें वो भूल गया है वो खूब सोते है.
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ग़लत पते वे तुम आये हो फूल लेने को,
यहाँ के लोग तो घर घर बबूल बोते हैं.
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हिकायते भी पता हैं शरीफ़ज़ादों की,
हमारे खून से अपने अज़ाब धोते हैं.
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हमेशा घर से निकलते हैं मुस्कुराते हुये,
शऊर मन्दो के दुःख भी अजीब होते हैं.
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"Haseeb Soz"
के हम भी साथ मे बच्चो के खूब रोते हैं.
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जिन्हें ख़ुदा ने दिया है वो जागते है बहुत,
जिन्हें वो भूल गया है वो खूब सोते है.
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ग़लत पते वे तुम आये हो फूल लेने को,
यहाँ के लोग तो घर घर बबूल बोते हैं.
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हिकायते भी पता हैं शरीफ़ज़ादों की,
हमारे खून से अपने अज़ाब धोते हैं.
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हमेशा घर से निकलते हैं मुस्कुराते हुये,
शऊर मन्दो के दुःख भी अजीब होते हैं.
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"Haseeb Soz"
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