ग़ज़ल
***
शोर तुम इतना मचाओ अब नहीं
आसमां को सर उठाओ अब नहीं
पाँव तेरे आज भी थकते कहाँ
इस जवानी को लुटाओ अब नहीं
तुम कहाँ सच बोलते हो आज भी
आइना मुझको दिखाओ अब नहीं
छोड़ दो मुझको अकेला आज तुम
दर्द दिल का तुम बढ़ाओ अब नहीं
मेरी बातें ज़ख़्म देती हैं अग़र
प्यार का रिश्ता बनाओ अब नहीं
पाँव को रक्खो ज़मीं पर आज तुम
प्यार में नफ़रत मिलाओ अब नहीं
ख़ून से लथपथ ये मेरी ज़िन्दगी
फूल से मुझको सजाओ अब नहीं
आँसुओं से तर ख़तों में प्यार है
प्यार को 'ऐनुल' छुपाओ अब नहीं
@ 'ऐनुल' बरौलवी # 23-02-17
***
शोर तुम इतना मचाओ अब नहीं
आसमां को सर उठाओ अब नहीं
पाँव तेरे आज भी थकते कहाँ
इस जवानी को लुटाओ अब नहीं
तुम कहाँ सच बोलते हो आज भी
आइना मुझको दिखाओ अब नहीं
छोड़ दो मुझको अकेला आज तुम
दर्द दिल का तुम बढ़ाओ अब नहीं
मेरी बातें ज़ख़्म देती हैं अग़र
प्यार का रिश्ता बनाओ अब नहीं
पाँव को रक्खो ज़मीं पर आज तुम
प्यार में नफ़रत मिलाओ अब नहीं
ख़ून से लथपथ ये मेरी ज़िन्दगी
फूल से मुझको सजाओ अब नहीं
आँसुओं से तर ख़तों में प्यार है
प्यार को 'ऐनुल' छुपाओ अब नहीं
@ 'ऐनुल' बरौलवी # 23-02-17
0 comments:
Post a Comment