"कभी तो घर से बाहर निकलो,
कभी तो कुछ तुम बात करो?
कभी तो कुछ तुम पहल करो
कभी तो कुछ शुरूआत करो?
दूर से तुम कब तक देखोगे,
तीर-ए-नजर कब तक फेकोगे?
हम तुमसे खुद ही मिले,
पैदा ऐसे हालात करो।"
सन्दीप कुमार "अजनवी"/"अजनवी" शायर।
कभी तो कुछ तुम बात करो?
कभी तो कुछ तुम पहल करो
कभी तो कुछ शुरूआत करो?
दूर से तुम कब तक देखोगे,
तीर-ए-नजर कब तक फेकोगे?
हम तुमसे खुद ही मिले,
पैदा ऐसे हालात करो।"
सन्दीप कुमार "अजनवी"/"अजनवी" शायर।
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