धरती कभी आकाश को यूँ छू नहीं पायी ,
नदियां कभी आपने जल यूँ पी नहीं पाई ,
लो डरता-सहमता मैं अब ये आज कहता हूँ ,
तू मेरे भाग्य में हो के भी मेरी हो नहीं पाई
कवि
पवन नन्देडा सरसी
Mob-9993351037
D-25-2-2017
नदियां कभी आपने जल यूँ पी नहीं पाई ,
लो डरता-सहमता मैं अब ये आज कहता हूँ ,
तू मेरे भाग्य में हो के भी मेरी हो नहीं पाई
कवि
पवन नन्देडा सरसी
Mob-9993351037
D-25-2-2017
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