लेन्टाइन डे पर एक आशिक के दर्द को अभिव्यक्त करती मेरी ये पंक्तियाँ :-
मोहब्बत की सदाओ का यही,
अंजाम देखा है ,
तडपते प्यार मे लड़को को हमने,
आम देखा है !
किसी ने भी वफाओ को न उनके,
आज तक जाना !
कि जब देखा है लड़कों को ही पिटते,
आम देखा है !
निभाने प्यार जिसने खुद के,
घर तक भी जलाये हैं ,
उन्हे ही दिल की गलियों मे ही,
लुटते आम देखा है !
न पहुँचा आज भी वो शख्स,
अपने प्रेम की मंजिल,
कि जिसको हमने पिटते राह 'यश',
हर शाम देखा है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
कवि एवं लेखक
मो.-7398328084
©All Rights Reserved@kavishivallahabadi
मोहब्बत की सदाओ का यही,
अंजाम देखा है ,
तडपते प्यार मे लड़को को हमने,
आम देखा है !
किसी ने भी वफाओ को न उनके,
आज तक जाना !
कि जब देखा है लड़कों को ही पिटते,
आम देखा है !
निभाने प्यार जिसने खुद के,
घर तक भी जलाये हैं ,
उन्हे ही दिल की गलियों मे ही,
लुटते आम देखा है !
न पहुँचा आज भी वो शख्स,
अपने प्रेम की मंजिल,
कि जिसको हमने पिटते राह 'यश',
हर शाम देखा है !
कवि शिव इलाहाबादी 'यश'
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मो.-7398328084
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