" हिन्द की हुँकार " मेरी कविता से कुछ पंक्तियाँ।
बक्त फिसलता जाता नित दिन अब जनता के हाथों से।
हिम्मत कर हुँकार भरो सब क्या होगा जजबातों से।
भारत माता चीख पुकारे अपने वीर जबानों को।
जाओ जाकर सबक सिखादो दिल्ली के हैवानों को।
आग लगाई है जिसने घाटी की शर्द हवाओं में।
हैवान दरिंदे बैठे हैं बो भारत की सरकारों में।
निश्चेतन सा पड़ा हुआ है भारत का अभिमान यहाँ।
जाओ और ढूँढ़ कर लाओ माँ गंगा की शान कहाँ।
उठो दहाड़ो सब को दिखादो ताकत है ललकारों में।
हिम्मत से खलबली मचादो दिल्ली के दरबारों में।
उठो और सच को देखो आइना तुम्हें दिखलाता हूँ।
कवि पवन नन्देडा सरसी
Mob-9993351037
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बक्त फिसलता जाता नित दिन अब जनता के हाथों से।
हिम्मत कर हुँकार भरो सब क्या होगा जजबातों से।
भारत माता चीख पुकारे अपने वीर जबानों को।
जाओ जाकर सबक सिखादो दिल्ली के हैवानों को।
आग लगाई है जिसने घाटी की शर्द हवाओं में।
हैवान दरिंदे बैठे हैं बो भारत की सरकारों में।
निश्चेतन सा पड़ा हुआ है भारत का अभिमान यहाँ।
जाओ और ढूँढ़ कर लाओ माँ गंगा की शान कहाँ।
उठो दहाड़ो सब को दिखादो ताकत है ललकारों में।
हिम्मत से खलबली मचादो दिल्ली के दरबारों में।
उठो और सच को देखो आइना तुम्हें दिखलाता हूँ।
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