एक प्रयास "सौगात" पर
~~~***~~~
सौगात निशानी प्यार की है,
देते- लेते हैं सब सौगात।
किंतु आजकल सौगातों से,
लोग मापते है औकात।
********
दिल में नहीं है प्यार जरा
पर देते हैं मंहगी सौगात।
ताकि जमाना भी जाने,
है इनकी कितनी औकात।
********
सौगात,भेंट,उपहार आदि की,
नहीं होती कीमत से पहचान।
उपहार तो छोटा बडा बराबर,
उसका पैमाना प्यार और मान।
*********
गया सुदामा द्वार कृष्ण के,
था उसके मन में संकोच।
पर कान्हा ने हाथ बढाकर,
लीन्हीं गठरी बगल से नोच।
*******
बोले श्याम सुदामा से तुम,
प्यार की भेंट दबाते हो।
भाभी ने सौगात जो भेजी,
क्यों तुम नहीं दिखाते हो।
*******
वही भेंट सौगात है सच्ची,
जिस में भरा हुआ हो प्यार।
जहाँ प्रदर्शन वैभव का हो,
वह उपहार गया बेकार।
********
मेवा त्यागा दुर्योधन का,
पर शाक विदुर का खाया था।
इस तरह कृष्ण ने कई बार,
उपहार का मर्म बताया था।
********
ऋद्धिकरण मिश्र "शैलेश"©
मगसम १८०१५/२०१६
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सौगात निशानी प्यार की है,
देते- लेते हैं सब सौगात।
किंतु आजकल सौगातों से,
लोग मापते है औकात।
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दिल में नहीं है प्यार जरा
पर देते हैं मंहगी सौगात।
ताकि जमाना भी जाने,
है इनकी कितनी औकात।
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सौगात,भेंट,उपहार आदि की,
नहीं होती कीमत से पहचान।
उपहार तो छोटा बडा बराबर,
उसका पैमाना प्यार और मान।
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गया सुदामा द्वार कृष्ण के,
था उसके मन में संकोच।
पर कान्हा ने हाथ बढाकर,
लीन्हीं गठरी बगल से नोच।
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बोले श्याम सुदामा से तुम,
प्यार की भेंट दबाते हो।
भाभी ने सौगात जो भेजी,
क्यों तुम नहीं दिखाते हो।
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वही भेंट सौगात है सच्ची,
जिस में भरा हुआ हो प्यार।
जहाँ प्रदर्शन वैभव का हो,
वह उपहार गया बेकार।
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मेवा त्यागा दुर्योधन का,
पर शाक विदुर का खाया था।
इस तरह कृष्ण ने कई बार,
उपहार का मर्म बताया था।
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ऋद्धिकरण मिश्र "शैलेश"©
मगसम १८०१५/२०१६
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