आज के विषय पर मेरे भाव
शब्द नही भूख एक भाव है
जन्म मरण का आधार है
गर न तो भूख मानव मे
पडा रहे फिर वो आलस मे
कर्म की चाल हथियार है
पेट को भरने की दरकार है
देखा व्याकुल भूखे इन्सान को
ज्वाला भूखे पेट की बुझाने को
न जाने दर्द वो जो न सहे
कितने जतनो से बुझे भूख
देखा है रोटी के लिये मैने
लडते झगडते इन्सानो को।
बेबस लाचार से जीते जीवन
तिरस्कार करते इन्सानो को
देखा है तडपती उम्मीदो को
भूखे सोते हुये कई गरीबो को
चन्द सिक्को से खरीदे लिये
गरीबो की हसी और खुशी
जशन उन अमीरो के हो तो
फिकती है कई भूखो की रोटी
निमिषा
शब्द नही भूख एक भाव है
जन्म मरण का आधार है
गर न तो भूख मानव मे
पडा रहे फिर वो आलस मे
कर्म की चाल हथियार है
पेट को भरने की दरकार है
देखा व्याकुल भूखे इन्सान को
ज्वाला भूखे पेट की बुझाने को
न जाने दर्द वो जो न सहे
कितने जतनो से बुझे भूख
देखा है रोटी के लिये मैने
लडते झगडते इन्सानो को।
बेबस लाचार से जीते जीवन
तिरस्कार करते इन्सानो को
देखा है तडपती उम्मीदो को
भूखे सोते हुये कई गरीबो को
चन्द सिक्को से खरीदे लिये
गरीबो की हसी और खुशी
जशन उन अमीरो के हो तो
फिकती है कई भूखो की रोटी
निमिषा
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