[8:29 PM, 2/24/2017] Kavi Shayr Yunish Khan Patrkar: दरख्तों से ताल्लुक का हुनर
सीख ले इंसान....
जड़ों में ज़ख्म लगते ही,
टहनियाँ सूख जाती हैं...✍
🌹आदाब जी🌹
[8:54 PM, 2/24/2017] +91 96707 58469: इसी में ख़ुश हूँ...
इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता है;
चली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता है;
ज़मीन-ए-दिल यूँ ही शादाब तो नहीं ऐ दोस्त;
क़रीब में कोई दरिया ज़रूर बहता है;
न जाने कौन सा फ़िक़्रा कहाँ रक़्म हो जाये;
दिलों का हाल भी अब कौन किस से कहता है;
मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की;
भरी बहार में जैसे मकान ढहता है।
___ तनवीर
सीख ले इंसान....
जड़ों में ज़ख्म लगते ही,
टहनियाँ सूख जाती हैं...✍
🌹आदाब जी🌹
[8:54 PM, 2/24/2017] +91 96707 58469: इसी में ख़ुश हूँ...
इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता है;
चली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता है;
ज़मीन-ए-दिल यूँ ही शादाब तो नहीं ऐ दोस्त;
क़रीब में कोई दरिया ज़रूर बहता है;
न जाने कौन सा फ़िक़्रा कहाँ रक़्म हो जाये;
दिलों का हाल भी अब कौन किस से कहता है;
मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की;
भरी बहार में जैसे मकान ढहता है।
___ तनवीर
0 comments:
Post a Comment